ख़त्म हो भी तो कैसे, ये मंजिलो की आरजू, ये रास्ते है के रुकते नहीं, और इक हम के झुकते नही......!!!
उसने पुछा, कहाँ रहते हो, मैने कहा, अपनी औकात मे रहता हुं......!!!
जो खानदानी रईस हैं वो, रखते हैं मिजाज़ नर्म अपना, तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है…....!!!
न मैं गिरा और न मेरी उम्मीदों के मीनार गिरे, पर कुछ लोग मुझे गिराने में कई बार गिरे........!!!
अपनी शख्शियत की क्या मिसाल दूँ यारों ना जाने कितने मशहूर हो गये, मुझे बदनाम करते करते.....!!!
बेवक़्त, बेवजह, बेहिसाब मुस्कुरा देता हूँ, आधे दुश्मनो को तो यूँ ही हरा देता हूँ........!!!
दुश्मनों को सज़ा देने की एक तहज़ीब है मेरी, मैं हाथ नहीं उठाता बस नज़रों से गिरा देता हूँ......!!!
रहते हैं आस-पास ही लेकिन पास नहीं होते, कुछ लोग मुझसे जलते हैं बस ख़ाक नहीं होते.....!!!
हम जा रहे हैं वहां जहाँ दिल की हो क़दर, बैठे रहो तुम अपनी अदायें लिये हुए........!!!
मेरे बारे में अपनी सोच को थोड़ा बदल के देख, मुझसे भी बुरे हैं लोग तू घर से निकल के देख.....!!!
समंदर बहा देने का जिगर तो रखते हैं लेकिन, हमें आशिकी की नुमाइश की आदत नहीं है दोस्त......!!!
छोड़ दी है अब हमने वो फनकारी वरना, तुझ जैसे हसीन तो हम कलम से बना देते थे......!!!
मैं लोगों से मुलाकातों के लम्हें याद रखता हूँ, बातें भूल भी जाऊं पर लहजे याद रखता हूँ.....!!!
राज तो हमारा हर जगह पे है, पसंद करने वालों के "दिल" में और, नापसंद करने वालों के "दिमाग" में.......!!!
सर झुकाने की आदत नहीं है, आँसू बहाने की आदत नहीं है, हम खो गए तो पछताओगे बहुत, क्युकी हमारी लौट के आने की आदत नहीं है......!!!
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