' KYA TUM VAHI HO ' Kya tum Vahi ho , jo mere Baat ne karne pe Rooth jaya karte the Kya vahi ho jo mere Preshan hone par Mujhe Bharosa dilaya karte the Jo har Roz Chodkar na jaane ke Mujhse Vaade karaya karte the ..... Kehne se pehle hi Mere vo Pyaar bhare shad sunaya karte the .... Hota koi bhi kaam bas mujhko bulaya karte the Jo har kahani har kissa pehle mujhko btaya karte the. ., Kyaa tum vahi ho ....? Mana mai ek ajnabi hu tumhare liye ab Par yu iss tarah mukar jana tumhara Har Roz ek jakhm ki tarah chubhta hai mujhe ... Jo Raaste hua karte the tumhare aur mere kabhi Yu unn Raasto par se tumhara kisi aur ke saath Gujarana... Har Roz rulaata hai mujhe....Har pal Tadpata hai mujhe .... Puchta hu fir se kya tum vahi ho. ..... Jo kehte the mai nahi Reh Sakti tumhare Bina Jo har pal bas mujhko kehti thi Ab koi na hoga tumhare siwa .... Kya tum vahi ho , Jiske sapno ka mai hissa hua karta tha Kya vahi ho jiski har kahaani ka mai kissa hua karta tha. .... Kya tum vahi ho jo mine ki mujhse Zid kiya karte the ... Kya vahi ho jo mujhse Baatein , behad kiya karte the. ... Kya vahi ho jo taarife sunkar mujhse Yu itraaya karte the , yu sharmaya karte the Aur jo pyar bhare naam mai diya karta tha tumhe Kya vahi ho jo mere diye har naam par khush ho jaya karte the .... karta tha yakin itna tumpe , Ke Zehan ko ab bhi yakin nahi hota Shayad tum ab vo nahi. , Shayad tum ab vo nahi .....;
' YE KYA KAR BAITHE HO TUM ' Jo dar mujhe satata tha , tumse dur hone ka ... Vo darr ko sach ka baithe ho tum Ye kya kar baithe ho tum Jo kabhi kabhi gam hota tha , Tumse Baat na ho paane ka Ab uss gam ko meri Zindagi ka hissa kar baithe ho tum .. Ye Kya kar baithe ho tum Kese kahu mere liye kya the tum , Milna tumse hota tha to lagta tha din savar gaya Chalta tha sath to lagta tha khatm na ho raasta , Par naye raaston ko ab apna ghar baithe ho tum Ye kya kar baithe ho tum Ye kya kar baithe ho tum
मेरी मन्नत भी तू है और खुदा भी तू मैं तुझसे तुझी को मांगता हूँ
ज़ख़्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें, हम खुद निशाना बन गए वार क्या करें, मर गए हम मगर खुली रही ये आँखें, इससे ज्यादा उनका इंतज़ार क्या करें।
ख़ामोश फ़िजा थी कोई साया न था, इस शहर में मुझसा कोई आया न था, किसी ने छीन ली हम से वो खुशी.. हमने तो किसी का दिल दुखाया न था.
पत्थरों को खुश करने के लिए फूलो का कत्ल कर आए हम । जहा आए थे अपने पाप मिटाने वहां एक और पाप कर आए हम ।
आशु आ जाते है रोने से पहले । ख्वाब टूट जाते है सोने से पहले। लोग कहते है मोहब्बत गुनाह है, काश कोई रोक लेता यह गुनाह होने से पहले।
अंदर ही अंदर मेरे दोस्त को फिक्र खाए जा रहा है, वो टूट कर भी अपनी मोहब्बत को चाह रहा हैं....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
पता चला है सिगरेट का नशा करता है, यार मेरा दूसरी दुकान में जाकर वफा करता है , सिगरेट छुप छुप के पीने वाले वे दिन चले गए , मेरा दोस्त अब सबके सामने नशा करता है....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
जो टूट कर भी मुस्कुरा दे , वो बेशर्म हूं मैं....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
इस ज़िन्दगी में कितनी घुटन हो रही हैं , ये जिंदिगी अब हम से न सहन हो रही है...✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
सिगरेट मेरा यारा एक तू ही तो है सहारा , जिस दिन घर छोड़ कर आया था , उस दिन मुझे कोई नहीं रोक पाया था , सिगरेट उस दिन तूने ही तो मुझे सम्भाला था , एक हाथ मे सिगरेट तो दूसरे हाथ में प्याला था , जब हाथ में लिया प्याला तो मेरी जिंदगी शर्मिंदगी थी , पर क्या करें उस टाइम पर घर की यादें जिंदा थी, प्याला की एक ही मारी थी घूंट , और घर की गई सारी यादें गई छूट , अरे सिगरेट तेरे एहसान को मै कैसे भूल जाऊं , तुझे तो मैं अंतिम दम तक अपने मुंह से लगाऊ, अरे कहने दे दुनिया को जो कहती है , दुनिया कहां दूसरों के दर्द को समझती हैं , उन्हें क्या पता कि दर्द में किसने साथ निभाया था , एक सिगरेट के कारण ही तो मैं बच पाया था , सिगरेट ने निभाई क्या यारी है , जिंदगी से ज्यादा मुझे सिगरेट प्यारी है , अगर सिगरेट ना होती गम भरी जिंदगी में दम घुट जाता , और सच कहूं तो मै ऐसे ही मर जाता , अपने गम को जब मै सह लेता हूं , मै भाई का छोटा भाई अपने गमों को अल्फाज देता हू....✍ by bhai Ka Chhota bhai
फिर वही ज़िन्दगी वही बात होगी, नए साल की एक नई शुरुआत होगी...✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
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