अरे उसके लिए सारी दुनिया से बगावत की थी ।। अरे याद आता है की हमने भी किसी से मोहब्बत की थी ।।उसको छोड़ कर हंसते हुए आए हम।। घर आकर इतना रोए कि हमारी आंखों ने भी हमसे शिकायत की थी।। Yashraj
Zindagi ka Har zakm uski meherbani Hain Meri zindagi toh ek adhuri kahani Hain Mita dete Har dard ko seene se Magar Ye dard hi toh uski aakhri nisani Hain
ऐ समन्दर, मैं तुझसे वाकिफ हूं मगर इतना बताता हूँ, वो आंखें तुझसे ज्यादा गहरी है, जिस सनम का मैं आशिक हूँ !! Yash raj
अब क्या सुनाऊं अपनी मोहब्बत की दास्तान ये दोस्तो । उसकी चाहतो ने दीवाना बनाया , और उसकी बेबसी ने सायर।।।
हमारा ज़िक्र भी अब जुर्म हो गया है वहाँ, दिनों की बात है महफ़िल की आबरू हम थे, ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर, जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे।
Samjhata hu khud ko ki tujhe bhool gya hu main, Samjhata hu khud ko ki aage badh gya hu main, Lekin khud se baatein karne ka jee nhi karta ab... Kyuki jab jab khud ke karib aata hu bs tujhko hi to pata hu... Tu itna kaise bas gya mujhme! Kehte hain mohabbat zismon se shuru hoti hai is jahan mein.. Lekin main to mila tak nhi tujhse.. Na kabhi chhua hai tere is zism ko! Fir kaise jud gya tu meri rooh se!!
Tears in my eyes are not just some moisture Not only because you are lacking
सौदा कुछ ऐसा किया है तेरे ख़्वाबों ने मेरी नींदों से.., या तो दोनों आते हैं, या कोई नहीं आता..
एक इलाके में एक भले आदमी का देहांत हो गया लोग अर्थी ले जाने को तैयार हुये और जब उठाकर श्मशान ले जाने लगे तो एक आदमी आगे आया और अर्थी का एक पाऊं पकड़ लिया। और बोला के मरने वाले से मेरे 15 लाख लेने है, पहले मुझे पैसे दो फिर उसको जाने दूंगा। अब तमाम लोग खड़े तमाशा देख रहे है, बेटों ने कहा के मरने वाले ने हमें तो कोई ऐसी बात नही की के वह कर्जदार है, इसलिए हम नही दे सकतें मृतक के भाइयों ने कहा के जब बेटे जिम्मेदार नही तो हम क्यों दें। अब सारे खड़े है और उसने अर्थी पकड़ी हुई है, जब काफ़ी देर गुज़र गई तो बात घर की औरतों तक भी पहुंच गई। मरने वाले कि एकलौती बेटी ने जब बात सुनी तो फौरन अपना सारा ज़ेवर उतारा और अपनी सारी नक़द रकम जमा करके उस आदमी के लिए भिजवा दी और कहा के भगवान के लिए ये रकम और ज़ेवर बेच के उसकी रकम रखो और मेरे पिताजी की अंतिम यात्रा को ना रोको। मैं मरने से पहले सारा कर्ज़ अदा कर दूंगी। और बाकी रकम का जल्दी बंदोबस्त कर दूंगी। अब वह अर्थी पकड़ने वाला शख्स खड़ा हुआ और सारे लोगो से मुखातिब हो कर बोला: असल बात ये है मरने वाले से 15 लाख लेना नही बल्के उनके देना है और उनके किसी वारिस को में जानता नही था तो मैने ये खेल खेला , अब मुझे पता चल चुका है के उसकी वारिस एक बेटी है और उसका कोई बेटा या भाई नही है। 👌🏻👌🏻मत मारो तुम कोख में इसको इसे सुंदर जग में आने दो, छोड़ो तुम अपनी सोच ये छोटी इक माँ को ख़ुशी मनाने दो, बेटी के आने पर अब तुम घी के दिये जलाओ, आज ये संदेशा पूरे जग में फैलाओ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।
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