हर बार दिल से ये पैगाम आए ज़ुबाँ खोलूं तो तेरा ही नाम आए तुम ही क्यूँ भाए दिल को क्या मालूम, जब नजरों के सामने हसीन तमाम आए !
पाकर पनाह तेरे दिल में महबूब, हम मुक्कमल दीवाने हो जाएंगे, बस दे दे तू पता अपने दिल का, हम भी वहां अपना आशियाना बनायेंगे।
तुम्हारे नाम को होठों पर सजाया है मैंने, तुम्हारी रूह को अपने दिल में बसाया है मैंने, दुनिया आपको ढूंढ़ती ढूंढ़ती हो जाएगी पागल, दिल के ऐसे कोने में छुपाया है मैंने।
पहले वह मेरी दोस्त थी अब जाके मोहब्बत बन चुकी हैं, पहले सिर्फ उसे याद करते थे, अब तो आदत बन चुकी हैं।
धारा तीन सौ सात लगनी चाहिये तेरी निगाहों पर, यूँ देखना भी कत्ल की कोशिशों में शुमार होता है !!
मोहब्बत एक खुशबू है हमेशा साथ रहती है, कोई इंसान तन्हाई में भी कभी तन्हा नहीं रहता।
मै तेरे शहर से यार गुजर जाऊंगा , उसके बाद फिर कभी भी नजर नहीं आऊंगा , हां ये सच है कि तेरा गम सताएगा कादिर , लेकिन ये न सोच लेना ये मेरे यार कि मै मर जाऊंगा |||||||
इंतज़ार वही करवाती है , जिससे सच्ची मोहब्बत होती है |||||
एक यार मिला था सादा सा बिछड़ेंगे नहीं ये वादा था , जिसे कहने लगे थे जान वो अनजान हो गए , उस शक्श को हमने इतना चाहा की वो परेशान हो गए ||||||
तुमने देखा ही कहा रुतबा हमारा , एक दौर में चलता था सिक्का हमारा , उलटी चाले चली जाती है मोहब्बत के खेल में, एक बेगम से काटा गया था इक्का हमारा ||||||
छुप _छुप कर तनहा रो लूंगा अब दिल का दर्द किसी से ना कहूंगा नींद तो आती नहीं रातो को मुझे जब रुकेगी धड़कन तो जी भर के सो लूंगा |||||
शायरी में कहाँ सिमटे है दर्द दोस्तों,, बस दिल बहला रहे हैं काग़ज़ों के टुकड़ों से
ना जाने कितनी उम्मीदें मर चुकी हैं मेरे अन्दर, अब तो मेरा दिल भी मुझे कब्रिस्तान सा लगता है.........
भरोसा टूटने की आवाज नही होती, पर गूंज जिंदगी भर सुनाई देती है
सिमट सा गया मेरा प्यार कुछ अल्फाजों से, जब उसने कहा मोहब्बत तो है पर तुमसे नही
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