खुद को खुदी से छुपाता हु मै दीवारो की मुरम्त चल रही है तभी तो बारिश के समय छत ढुढने चला जाता हु अभी कमी है कही तभी तो बारिश का बहाना बनाता हु ✍️ लेखक लखविन्दर सिहं चहल
मै ढूँढने लगा वो खो गया उसने पूछा तक नहीं वो परछाई की तरह अंधेरे मै गायव हो गया जब उज्वल पहर हुआ तब तक मै खफा हो गया ✍️ #Lakhwinder singh chahal
ਅਸੀਂ ਅੱਜ ਵੀ ਉਡੀਕ ਵਿੱਚ ਹਾਂ ਪਰ ਹੋਰਾਂ ਦਾ ਨੰਬਰ ਲੱਗ ਗਿਆ ਰੇਤ ਨੇਂ ਤਾਂ ਖੁਰਣਾਂ ਸੀ ੳਹਨਾਂ ਨੂੰ ਨਵਾਂ ਸੱਜਣ ਜੋ ਲੱਭ ਗਿਆ । ਲੇਖਕ - Lakhwinder Chahal
पढा इतना कि खुद पर गुमान हो गया . जब जिंदगी मे कुछ करने का समय था . तब जाकर #कमबक्त J. #मासूम V #बदनाम हो गया ! ✍️( #L@khwinder singh chahal )
बिखरा हुआ हूँ मै. कुछ रंज है, कुछ कड़वाहट है, अपने आप से ख़फ़ा हुआ हूँ मै. कुछ वादे, बातें, सूखे पत्ते और बहुत सारा दर्द, ना जाने क्या क्या लेके बढ़ा चला हूँ मैं. अजीब सी कशमकश रहती है दिल में ना जाने क्यूँ, फिर भी दिल को बहलाकर बढ़ा चला हूँ मैं. लोग, दुनिया, समाज सबको दिखता है सिर्फ रंग चेहरे का, किसी को क्या मालूम कि कितना बिखरा हुआ हूँ मै. किसी को क्या मालूम कि कितना बिखरा हुआ हूँ मै.
गम लाखों हैं दिल में हैं मेरे, है मुस्कुराहट चेहरे पर, वो समझें कि मैं खुश हूँ बहुत , दुःख काफी दिल मैं गहरे पर, सब पूछते क्या दुःख है तुझे, मैं कह नहीं सकता ज्यादा कुछ, कह सकता हूँ इतना पर, दिल खोल नहीं सकता आगे सबके, गम बैठा दर (दरवाजा) के पहरे पर, गम ही है एकमात्र भाव,जो छुपा नहीं सकता कोई, गर छुपा लिया तुमने इसको, तुम कहलाओगे अद्भुत नर ।।
Zaroorat to hoti hai sabhi ko mager, Kuch zaroorat airayish hoti hai zindagi ki.
Suraj kumar
कुछ - कुछ EVM सी है वफादारी मेरी। -२ कुछ करे न करे बदनाम ही रहती है।।
Dil
*...सपना है आॅखो में,,, मगर नींद कहीं और है।* *दिल तो हैं जिस्म में,,, मगर धड़कन💕 कहीं और है।।* *कैसे बयान करें अपना हाल - ए - दिल❤* *जी तो रहें हैं,,, मगर जिंदगी कहीं और है।*
तुझसे मिलने की सजा देंगे तेरे शहर के लोग ये वफाओं का सिला देंगे तेरे शहर के लोग कह के दीवाना मुझे मारते हैं सब पत्थर और इसके क्या है इसके सिवा देंगे तेरे शहर के लोग ✍✍✍✍jakhme dilip
अभी पाना कुछ बहुत बाकी है कुछ हंसना कुछ रुलाना अभी बाकी है जिंदगी जीना है तो हंस के जियो कामयाबी की मंजिल अभी पाना बाकी है दुनिया में कितने अजीब लोग मिलते हैं कुछ लोगों को आजमाया है कुछ लोगों को अभी आजमाना बाकी है ✍✍ Jakhmi Dilip
मुस्कराहट का कोई मोल नहीं होता, कुछ रिश्तों का कोई तोल नहीं होता, लोग तो मिल जाते है हर मोड़ पर, हर कोई आप की तरह अनमोल नहीं होता।
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