कतरा-कतरा मैं बहकता हूँ तिनका-तिनका मैं बिखरता हूँ, रोम-रोम तू महकता है, जर्रा-जर्रा मैं तुझमें पिघलता हूँ।
मेरी आँखों में तुम अपनी परछाइयाँ देख लेना, फुरसत मिले तो दिल की वीरानियाँ देख लेना, तुम नहीं जानती गर क्या है तुम्हारी अहमियत, जरा पलटकर तुम हमारी कहानियाँ देख लेना।
छोड़ देंगे तेरी दुनिया नजर तुझको ना आएंगे, खुदा के पास जाकर के दास्ताँ तेरी सुनाएंगे।
नशे में चूर होगी तू किसी ग़ैर की बांहों में, दबाकर लकड़ियों में जब मुझे दुनिया जलायेगी।
तड़प कर टूट ही जाएगी मेरे दिल से मेरी साँसें, कफ़न में लिपट कर भी सनम तुझको पुकारेंगे।
रहा नहीं जाता सनम एक पल भी दूर तुमसे, उम्र सारी बिछड़ कर सनम हम कैसे गुजारेंगे।
रह न पाओगे भुला कर देख लो, यकीं न आये तो आजमा कर देख लो, हर जगह महसूस होगी मेरी कमी, अपनी महफ़िल को कितना भी सजा कर देख लो।
तेरे रोज के वादों पे मर जायेंगे हम, यूँ ही गुजरी तो गुजर जायेंगे हम।
बदल जाए चाहे सारा जग पर ना बदलना तुम कभी, ख़्वाबों के खुशनुमा शहर में मिलने आना तुम कभी।
नाराज़ ना होना कभी बस यहीं एक गुज़ारिश है, महकी हुई इन साँसों की साँसों से सिफ़ारिश है।
तुम्हारी तस्वीरों में मुझे अपना साया दिखता है, महसूस करता है जो यह मन वहीं तो लिखता है।
तुम्हारे साथ आजकल यूँ हर जगह रहता हूँ मैं, हद से ज्यादा सोचूं तुम्हें बस यहीं सोचता हूँ मैं।
पता नहीं हमारे दरमियान यह कौन सा रिश्ता है, लगता है कि सालों पुराना अधूरा कोई किस्सा है।
दिल के हर कोने में बसाया है आपको, अपनी यादों में हर पल सजाया है आपको, यकीं न हो तो मेरी अॉखों में देख लीजिये, अपने अश्कों में भी छुपाया है आपको।
यूँ हर पल हमें सताया न कीजिये, यूँ हमारे दिल को तड़पाया न कीजिये, क्या पता कल हम हों न हों इस जहॉ में, यूँ नजरें हमसे आप चुराया न कीजिये ।
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