जो नजरो का हुआ मिलना लब तेरे भी मुस्कुराये थे, ईश्क के हर जूर्म में मेरे तेरी मोहोब्बत के साये थे, मेरी हर रात में सजनी तेरी सेजो के साये थे, रात को ख्वाब में मेरे ख्वाब तेरे मिलने आये थे।
छलकते होठो से छू के, होठो को उन्होंने प्याला बना डाला, पास आई कुछ वो ऐसे.. जिन्दगी को उन्होंने मधुशाला बना डाला|
उनका हाल भी कुछ आप जैसा ही होगा, आपका हाले दिल उन्हें भी महसूस होगा, बेकरारी की आग में जो जल रहे हैं आप, आपसे ज्यादा उन्हें इस जलन का एहसास होगा।
कब तक वो मेरा होने से इंकार करेगा, खुद टूट कर वो एक दिन मुझसे प्यार करेगा, इश्क़ की आग में उसको इतना जला देंगे, कि इज़हार वो मुझसे सर-ए-बाजार करेगा।
हसरत है सिर्फ तुम्हें पाने की, और कोई ख्वाहिश नहीं इस दीवाने की, शिकवा मुझे तुमसे नहीं खुदा से है, क्या ज़रूरत थी, तुम्हें इतना खूबसूरत बनाने की!
जब खामोश आँखो से बात होती है ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है तुम्हारे ही ख़यालो में खोए रहते हैं पता नही कब दिन और कब रात होती है
ये दिल किसी को पाना चाहता है, और उसे अपना बनाना चाहता है। खुद तो चाहता है ख़ुशी से धड़कना, उसका दिल भी धड़काना चाहता है। जो हँसी खो गई थी बरसों पहले कहीं, फिर उसे लबों पर सजाना चाहता है। तैयार है प्यार में साथ चलने के लिए, उसके हर गम को अपनाना चाहता है। मोहब्बत तो हो ही गई है अब तो.. पर, अब उसी से ही ये छिपाना चाहता है। ये दिल अब किसी को पाना चाहता है, और उसे सिर्फ अपना बनाना चाहता है।।
चुपके से आकर इस दिल में उतर जाते हो, सांसों में मेरी खुशबु बन के बिखर जाते हो, कुछ यूँ चला है तेरे ‘इश्क’ का जादू, सोते-जागते तुम ही तुम नज़र आते हो।
दिल के सागर में लहरें उठाया ना करो, ख्वाब बनकर नींद चुराया न करो, बहुत चोट लगती है मेरे दिल को, तुम ख़्वाबों में आ कर यु तड़पाया न करो..
वो दिल ही क्या.. तेरे मिलने की.. जो दुआ न करे.. मैं तुझ को.. भूल के.. ज़िंदा रहूँ.. ख़ुदा न करे
हर हर महादेव
कर देता बर्बाद, छीन कर खुशियाँ सारी छोड़े ले कर जान, इश्क है वह बीमारी
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