मेरा मन माने नही, चाहे प्रेम अनन्त । प्राकृत पावन साधना, पूरी कर भगवन्त।।
वो हुस्न ही क्या जो बिक जाये बाजारो में, इश्क के साज पर बाजार बिका करते है। ऐक आदत सी पड गयी है खरीदने की हमें, ओर भी कुछ है जहाँ ताज भुका करते है।।
इज़हारे मुहब्बत पे अजब हाल है... आँखें तो रज़ामंद हैं, लब सोच रहे हैं
काश कहीं से मिल जाते वो अल्फ़ाज़ हमें भी जो तुझे बता सकते कि हम शायर कम तेरे आशिक ज्यादा है
Meri chahte tumse alag kb h dil ki bate tumse chupi kb h tum sath rho dil me dhadkan ki jgah fir jindgi ko sanso ki jarurt kb h
कुछ नहीं है आज मेरे शब्दों के गुलदस्ते में, कभी कभी मेरी खामोशियाँ भी पढ लिया करो…!
तन्हाई कि रात कट ही जाएगी इतने भी हम मजबूर नहीं, दोहरा कर तेरी बातों को कभी हँस लेंगे कभी रो लेंगे।
लौट आओ और मिलो उसी तड़प से, अब तो मुझे मेरी वफाओं का सिला दे दो, इंतजार ख़त्म नहीं होता है आँखों का, किसी शब् अपनी एक झलक दे दो।
तेरे हर गम को अपनी रूह में उतार लूँ, ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ, मुलाकात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी, सारी उम्र बस एक मुलाकात में गुज़ार लूँ।
चाहा है तुम्हें अपने अरमान से भी ज्यादा, लगती हो हसीन तुम मुस्कान से भी ज्यादा, मेरी हर धड़कन हर साँस है तुम्हारे लिए, क्या माँगोगे जान मेरी जान से भी ज्यादा।
हमें अपने घर से चले हुए, सरे राह उमर गुजर गई, न कोई जुस्तजू का सिला मिला, न सफर का हक ही अदा हुआ।
बहुत लहरों को पकड़ा डूबने वाले के हाथों ने, यही बस एक दरिया का नजारा याद रहता है, मैं किस तेजी से जिन्दा हूँ मैं ये तो भूल जाता हूँ, नहीं आना है दुनिया में दोबारा याद रहता है।
इतना तो ज़िंदगी में, न किसी की खलल पड़े, हँसने से हो सुकून, न रोने से कल पड़े, मुद्दत के बाद उसने, जो की लुत्फ़ की निगाह, जी खुश तो हो गया, मगर आँसू निकल पड़े।
कोई आँखों में रहती है तो कोई बांहें बदलती है, मुहब्बत भी सियासत की तरह राहें बदलती है...
लाओ, वो गिरवी रखी मेरी नींदे वापस कर दो, महोब्बत नहीं दे सकते तो कीमत क्यूँ वसूलते हो
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