Timi mero jindgi maa fulchau bhane, Hriday ko bagauncha bhin sajai deeula, Jeevan bhari sath dinchau bhane, Manko sundar swarh bhinn bsaai deeula..!
Maya garne bala aankha ko kura samjhi halchhan Sapana ma milda pani bhetghat samjhi halchhan Runda ta aakasha aafno maya ko lagi Tar manchhe tyaslai barsa samjhi halchhan
Paunu bhanda gumaunu ko maza nai arkai hunchha Band aankhan le runu ko maza nai arkai hunchha Aansu banchha boli, boli banchha gajal Ra tyo gajal ma timro nam hunu maza arkai hunchha
Kahilyai mutu ma madhhoshi jhalkeko thiyen Thaha 6aian k asar garer gayo timro kura Natra yasari kahilyai yaad kasaiko aayeko thiyen
तिमीलाई सम्झी सम्झी बित्छन् मेरा रातहरु आँखाबाट आँसु र्झछन् सम्झदा तिम्रा घातहरु मायाको पोखरीमा सँगसँगै पौड्यौ हामी दुबै किनारामा नपुग्दै बीचैमा छुटे तर हाम्रा हातहरु माया माया भन्दै तिमीलाई म खोजि हिँडिरहेँ भेटदा तिमीलाई उल्टै लायौ नराम्रा बातहरु सँगै जिउने सँगै बाँच्ने जीवनको गोरेटोमा अल्भिmएर लडदा म हान्यौ चाम्रा लातहरु जीवनभर साथ दिने बाचा तोडेर पनि आज चाहिदैन भन्छौ रे सहयोगीका राम्रा साथहरु
थुनिएँ मायाको जेलमा जानुछैन मलाई घर मायालुको काखैमा मर्छु बाँच्छु उनकै छ भर विरामी परे पनि ओखतीमुलो उनैले गर्छिन् खुशीसाथ पिउँछु म दिए पनि उनले जहर लठ्ठीले पिटून चाहे मेरो गाला नै चड्काऊन् सहिदिन्छु म हाँसीहाँसी चाहे टुटेपनि कहर भोकै राखे रहन्छु, प्यासै राखे पनि स्वीकार्छ गुनासो म गर्दिनँ केही छैन अब कुनै डर भूइँमा सुताओस् चाहे मखमलको ओछयानमा तर उनको काखमा सुत्ने सदैव रहन्छ रहर
शुभ बिज्याद्श्मि
तेरी चांद उगलती बातों का असर रौशनी निगलती मेरी आंखों ने जाना और क्या से क्या हो गया। नहीं मालूम कि मेरे कुछ निकम्में ख़्वाबों के पंख बन कर तुम्हें क्या मिला होगा, पर जानता हूं कि अगर कोई ख़ुदा है तो अपना सारा काम ख़ुद से नहीं करता। अच्छा लगा खुशबू के पांव पहन कर तेरा आना मेरे एहसासों में ,जिसके कारण मेरी महकती लंबी सांसों ने बता दिया कि ज़िंदगी दो कदम पीछे भी थी और दो कदम आगे भी।
मन की बाते बंद करो,मत ज्ञान बाँटिये मोदी जी, सबसे पहले गद्दारों की जीभ काटिये मोदी जी, आज वतन को,खुद के पाले घड़ियालों से खतरा है, बाहर के दुश्मन से ज्यादा घर वालो से खतरा है, देशद्रोह के हमदर्दी हैं,तुच्छ सियासत करते है, और वतन के गद्दारों की खुली वकालत करते है, वोट बैंक की नदी विषैली,उसमे बहने वाले हैं, आतंकी इशरत को अपनी बेटी कहने वाले हैं,
"न समझा किसी ने, न जाना किसी ने न हम ने बताया, न माना किसी ने मुहब्बत के ये कायदे भी अजब हैं न खोना किसी ने, न पाना किसी ने...
वो नज़ारे जो कभी शौक़-ए-तमन्ना थे मुझे कर दिए एक नज़र मे ही पराये उसने रंग-ए-दुनिया भी बस अब स्याह और सफ़ेद लगे मेरी दुनिया से यूँ कुछ रंग चुराए उस ने ..
बात ऊँची थी मगर बात ज़रा कम आँकी उस ने जज़्बात की औक़ात ज़रा कम आँकी वो फरिश्ता मुझे कह कर ज़लील करता रहा मैं हूँ इन्सान, मेरी ज़ात ज़रा कम आँकी
कच्चे मकान देखकर किसी से रिश्ता ना तोडना दोस्तो..! तजुर्बा है मेरा की मिट्टी की पकड मजबूत होती है संगमरमर पर तो हमने अक्सर पैर फिसलते हुए देखा है..!!
मेरे जीने मे में मरने में तुम्हारा नाम आयेगा मैं साँसे रोक लू फिर भी यही इल्जाम आयेगा हर एक धड़कन में जब तुम हो तो फिर आपराध क्या मेरा अगर राधा पुकारेगी तो फिर घनश्याय आएगा
मुझको मालूम है, मेरा है वो मैं उसका हूँ उसकी चाहत है कि रस्मों की ये बंदिश भी रहे मौसमों से रहें ‘विश्वास’ के ऐसे रिश्ते कुछ अदावत भी रहे थोड़ी नवाजि़श भी रहे.
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