उठो जागो और तब तक ना रुको , जब तक मौत की प्राप्ति ना हो जाए , "क्योंकि जिंदगी की सबसे बड़ी सफलता मौत है"....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
सिगरेट 🚭 तू मेरी ज़िन्दगी का हिस्सा है , अल्फाज मैं कुछ भी लिखू वो मेरा किस्सा है...✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
जिनके कारण देश कि शान है, वो हमारे देश के किसान है....✍️ ~भाई का छोटा भाई
अल्फ़ाज़ की शक्ल में ये एहसास लिखा जाता है , भाई का छोटा भाई कि कलम से मॉ का प्यार लिखा जाता है , मेरे जज़्बात से तो वाकिफ़ है मेरी कलम भी, अगर मै याद लिखु तो मॉ लिखा जाता है.....✍️
इक आईना है जो चेहरा देख के जल उठता है, एक किताब है जो कहानी खुद की बताती है, इक ऐसी जिंदगी है ना ख्वाब अच्छे आते हैं ना नींदें वफ़ा दिखाती है~ रविकांत मिश्रा (बी.ए एल एल.बी) गोरखपुर विश्वविद्यालय
Gindgi KE kitne GAM KE aansu in aakhon me basaay huai hai. Jaise KI samundar KI rait main moityaan chupaay rakhe hai. ye do boond KE aansu hi jivan KE kitne Dino tak aankhon main sajay Rke hai. Main TO ek pani ka boond hi Hu Jo jivan ke itne lamhe aankhon main Basai batha Hu. ye WO aansu hai Jo ek Beti apni pita KE Ghar main apni sadi main rulay bathti hai.
जिनके कारण है देश कि शान , रोड पर क्यू मार रहे हो किसान.... ✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
आज परेशान हूं कल सुकून चैन भी आएगा , ख़ुदा तो मेरा भी हैं कब तक रूलाएगा....✍️ ~भाई का छोटा भाई
चुप रहें आह भरे चीख़ उठें या मर जायें , क्या करें हम कि साहब को मेरी ज़िन्दगी के गम की ख़बर हो जाए...✍️ ~भाई का छोटा भाई
ज़िंदगी से लड़ रहे हैं जीने की जंग है , अपना क्या बात है हम तो मस्त मलंग हैं...✍️ ~भाई का छोटा भाई
बनने आये थे मेरा मरहम , जख़्म देखा तो लौट गए...✍️ *@छुट्टी* ~भाई का छोटा भाई
छुट्टी भेज दो यार , अपना भी है एक छोटा सा परिवार , क्या मुझे अच्छा नहीं लगता गांव घर, या मैं ऐसे ही घूमता रहूं दर बदर , कभी इधर कभी उधर कभी वहां जाना है , घर वाले पूछ रहे हैं छुट्टी कब आना है , क्या बोलूं घर वालों को कि नहीं मिल रहा है अवकाश , जब आऊंगा छुट्टी तो समय हो जाएगा पास , ये रख लो अपना तामझाम मुझे घर की याद आ रही है , साहब मुझे छुट्टी भेज दो अब मेरे इधर ट्रेन जा रही हैं , पहले तो बोले थे हो जाने दो ADM , बंदो को छुट्टी भेज दूंगा कम से कम , साहब जो बोले थे वो बात अब कहां रही , साहब मुझे छुट्टी भेज दो मां की याद आ रही , मां चिंतित है गांव में कि तू इधर उधर कहां जाता है , अब तो तुझे भी चार-पांच महीने हो गए छुट्टी क्यों नहीं आ जाता है , अब मां को कैसे समझाऊं कि यहां छुट्टी मिलना इतना आसान नहीं , मैं अकेला बंदा यहॉ छुट्टी से परेशान नही , सबकी मॉए हैं सबको घर की याद आती है , मैं तो झूठ बोलकर भी आ जाऊं मॉ छुट्टी पर यहाँ फर्ज निभाने वाली बात आ जाती हैं , मां मेरी जिंदगी का यही सार है , साहब मुझे छुट्टी भेज दो मेरा भी एक छोटा सा परिवार है , अब और क्या बताऊं साहब भाई का छोटा भाई का कलम छुट्टी लिख लिख कर रह गया , जब शाम हुई तो फिर से ड्यूटी (कर्तव्य) पर चढ़ गया , फिर मॉ फोन करती रही पूरी रात और मैं फोन उठाने से रह गया , अब मां को कैसे बताऊं कि मैं ड्यूटी (कर्तव्य) पर चढ़ गया , ड्यूटी ( कर्तव्य ) से उतर का मां का इतना फोन देखा तो मुझे ऐसा लगा कि मेरी जिंदगी ऐसे ही जा रही है साहब मुझे छुट्टी भेज दो मां की याद आ रही है , साहब मुझे छुट्टी भेज दो मां की याद आ रही है...✍
Love your life whether the time creates obstacles in your way.
वाह क्या वक्त चल रहा जो हम खड़े रहते हैं सारी सारी राते , दिन में सोना मुश्किल है और रातो मे हम सो नहीं पाते... ✍️ ~भाई का छोटा भाई
वक़्त की लहरे है जिंदगी का ज़हाज़ हैं जो आज कल था वो कल आज है....✍️ ~भाई का छोटा भाई
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