तुझपे कोई कहानी लिख दूँ क्या, तुझपे कोई शायरी लिख दूँ क्या, अगर इजाजत हो आपकी मैं खुद को राजा और तुम्हें अपनी रानी लिख दूँ क्या?
कितना चाहते हैं तुम्हें कहना नही आता, बात ये है कि तुम्हारे बिना रहना नही आता
Bepanah Chaha Jise Wo Laut Kar Aaya Nahi Mere Dil Ko Uske Siva Aur Koi Bhaya Nahi Pyar Ki Saudagiri Me Hum Barbaad Rahe Usne Kuch Khoya Nahi Maine Kuch Paya Nahi..!
Aai Dost Mai Aapko Yaad Karta Hu, Aapse Milene Ki Fariyaad Karta Hu, Mujhe To Pata Nahi Par Kahte Hai Ghar Wale Nind Me Bhi Aapko Yaad Karta Hu.
किनारे पर तैरने वाली लाश को देखकर ये समझ आया, बोझ शरीर का नही साँसों का था......!!!
कैसे करूं मुकदमा उस पर उसकी बेवफाई का, कमबख्त ये दिल भी उसी का वकील निकला…...!!!
ईश्क में आज तूम कितने बदल गए कि ईश्क में आज तूम कितने बदल गए। तूम छोड़ करभी संभल गए.... हम निभाकर भी बिखर गए...
हां हां तुमसे मोहाबत होगायी हे !! हां हां तुमसे मोहाबत होगायी है !! तुम्हारे नजरो में नजर मिलके बात करना आज मुस्किल होगई ही... में जनतथा ये रास्ता आसान नहीं ही फिर बि तुमसे मोहब्बत होगयी ही. हां हां तुमसे मोहाबत होगायी ह हे !! ये बकिया महज एक बाकिया नही, जो में इतनी आसानी से भूल जाऊं, ये मेरे मन में अब घर करगायी ही... तुम्हे धीरे से निहार न, तुम्हारी मुस्कुराहट को हल्की निघाओं से देखे के खुशी महसूस करना, अब आदत होगाई ही. बेसक तुम जब हस्ती हो, बहत खूबसूरत लगती हो ll हां हां तुमसे मोहाबत होगायी है !! तुम्हारे साथ लंच में जाना और और walk पे जाना सैयद मेरा एक बहाना हो, जो मुझे अच्छा लगता है.. जो में बेसब्री से इंतजार कर्ताओं ..ये पाल तुम्हारे साथ बिताने की... और याद ही , जब तुम पहली बार चाय की payment किए थे... इसी दिन मुझे लगा..."you are mah type". अब तुम्हारी ये अदायें, मुझे भा गईं हैं हां हां तुमसे मोहाबत होगायी है !! कहीं न कही में थोरासा दुखी होजता हूं, जब तुम saturday WFH ले लेटे हो, सैयद यही एक दिन रहता है जो में तुमसे खुलके बात कर पाता हूं. वैसे बाकी का दिन तुम्हारी खूबसूरती निहारते ही निकल जाता है. हां हां तुमसे मोहाबत होगायी है !! गजब!! जब तुम वो फ्लोरल वाला ड्रेस में थी, तुम बहत प्यारी लगरिथ. जाने अंजनेके में गोविंद को बता दियथा और वो तुम्हे. थोड़ा सा तो में nervous था पर जो था अच्छा था. सैयद उसी दिन से में ... धीरे धीरे से आगे बढ़ता गया एक बेहरान रास्ते में। हां पर उसी दिन ही तुम मेरे मन की भूमि में एक प्रेम की दीप जलायीथी... हां हां तुमसे मोहाबत होगायी है || वैसे तुमसे कुछ पनेकी मेरा कोई उम्मीद नी ही...बस ये एक मेरे मन की चोटी सी परिभाषा.. नोट: ऐसे अगर लिखता गया खतम न होगा...तो रहने दो आज!!
छोड़ दिया मुझे , अकेला करके भरी मेहफ़िल में , गुमशुदा करके ढून्ढ टी है मेरे , हर एक नज़र तेरे प्यार से दुबे हर वो नज़र, नाराज़ नहीं तुमसे हो मेरे हमसफर , बस नाराज़ हूँ किस्मत से क्यों लिखा नहीं तुम्हे लकीरोमें I लोपामुद्रा
खो दिया सब , न जाने पाया है काया, तुम्हे खो के लगा , जिंदगी में और कुछ न रहा अब खुद को ढूंढ ता हूँ दुनिया के भीड़ में पाती हूँ खुद को में मेरे आंसू के बरसात में I लोपामुद्रा
में राही सफर का मोहब्बत को छोड़ , अपनी मंजिल तक जा रहा हूँ, ऐ खुदा संभाल मुझे में तेरे पास आ रहा हूँ !
एक तो मुलाकात बंद ऊपर से ख्याल तुम्हारा । यह बात मालूम होते हुए भी अक्सर भूल जाता हूं दोबारा ।।
मैंने सोचा मोहब्बत का मारा एक मैं ही हूं सिर्फ शहर में। नज़र घुमाके देखी तो अपने अपने महबूब को छिपाकर जी रहे सभी कहर में ।।
वो भी हमें चाहते थे हम भी उन्हें चाहते थे बस कम्बख्त ये चाहत उस वक्त की नहीं थी
Vo 2 din ke lie kya aae hmare seher mein ,, Vo 2 din ke lie kya aae hmare saher mein,,, Humko to saara sahar hi apna lgne lga ....
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