तपती दोपहरी, गरम रेत पर... ठंडे पानी की बूँदों जैसा काम कर गई... तेरी आवाज़ जो कल सुनी मैंने...।
अगर आप अजनबी थे तो लगे क्यों नहीं, और अगर मेरे थे तो मुझे मिले क्यों नहीं।
तेरे रंग में ऐसे रंगीन हो गए हैं हम, कि तेरे बिना जिंदगी के रंग फीके लगेंगे।
हम भी कुछ प्यार के गीत गाने लगे हैं, जब से ख़्वाबों में मेरे वो आने लगे हैं।
उसके लिये तो मैंने यहाँ तक दुआएं की है, कि कोई उसे चाहे भी तो बस मेरी तरह चाहे।
तेरे शहर में आ कर बेनाम से हो गए, तेरी चाहत में अपनी मुस्कान ही खो गए, जो डूबे तेरी मोहब्बत में तो ऐसे डूबे, कि जैसे तेरी आशिक़ी के गुलाम ही हो गए।
क्यूँ किसी से इतना प्यार हो जाता है, एक दिन का भी इंतजार दुश्वार हो जाता है, लगने लगते है अपने भी पराए, जब एक अजनबी पर ऐतबार हो जाता है।
दीवारो-दर से उतर के परछाइयाँ बोलती हैं कोई नहीं बोलता जब तन्हाइयाँ बोलती हैं। सुनने की मुहलत मिले तो आवाज़ है पत्थरों में उजड़ी हुई बस्तियों में आबादियाँ बोलती हैं।
इन आंखो मे आंसू आये न होते, अगर वो पीछे मुडकर मुस्कुराये न होते, उनके जाने के बाद बस यही गम रहेगा, कि काश वो हमारी ज़िन्दगी मे आये न होते
भीड़ भाड़ को छोड़ आए हैं बस तन्हाई भाई है. वहां बहुत बेचैनी भोगी यहां खुमारी छाई है. वो सवाल अब यहां नहीं हैं जिनके उत्तर मुश्किल थे. जितनी हमने इच्छा की थी उतनी राहत पाई है.
किसी के दिल पे क्या गुजरी हे वो अनजान क्या जाने, प्यार किसको कहते हे वो नादान क्या जाने, हवा के साथ उठा ले गया घर का परिंदा, केसे बना था ये घोसला वो तूफान क्या जाने.
इतने बुरे नही थे, जितने इल्जाम लगाए लोगों ने,, कुछ मुकद्दर खराब था, कुछ आग लगाई लोगो ने !!
तेरे ना होने से जिंदगी में बस इतनी सी कमी रहती है,, मैं चाहे लाख मुस्कुराऊ, आँखों में नमी सी रहती है !! :( सांस तो चलती रहती है मेरी ब-दस्तूर ,, ये धड़कने ही कुछ थमी थमी सी रहती है !!
मैं इस उम्मीद में डूबा कि तू बचा लेगा, अब इससे ज्यादा तू मेरा इम्तिहान और क्या लेगा ,,
मेरे दिल कि सरहद को पार न करना, नाजुक है दिल मेरा वार न करना, खुद से बढ़कर भरोसा है मुझे तुम पर, इस भरोसे को तुम बेकार न करना।
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