दिल का दर्द युँ लफ़्ज़ों में बयाँ करते ही नहीं, तेरी तसवीर आँखों से न बह जाये इसलिये रोते ही नहीं, तेरे इश्क़ का जुनुँ छाया है इस क़दर, ज़िंदा हैं ईसी ग़ुमान में वर्ना हम होते ही नहीं।
दिल में प्यार का आगाज हुआ करता है, बातें करने का अंदाज हुआ करता है, जब तक दिल को ठोकर नहीं लगती, सबको अपने प्यार पर नाज हुआ करता है!
कौन किसे दिल में हमेशा पनाह देता है। एक पेड़ भी सूखे पत्ते गिरा देता है। वाकिफ है हम इस दुनिया के मिजाज से। दिल भर जाये तो हर कोई भुला देता है
नजर से क्यूँ जलाते हो आग चाहत की, जलाकर क्यूँ बुझाते हो आग चाहत की, सर्द रातों में भी तपन का एहसास रहे, हवा देकर बढ़ाते हो आग चाहत की।
मेरा मन माने नही, चाहे प्रेम अनन्त । प्राकृत पावन साधना, पूरी कर भगवन्त।।
काश कहीं से मिल जाते वो अल्फ़ाज़ हमें भी जो तुझे बता सकते कि हम शायर कम तेरे आशिक ज्यादा है
नींद भी नीलाम हो जाती है बाज़ार -ए- इश्क में ! किसी को भूलकर सो जाना इतना आसान नहीं होता !!
यादों में न ढूंढो हमें, मन में हम बस जायेंगे ! तमन्ना हो अगर मीलने की हाथ रखो दील पर, धड़कनो में हम मील जायेंगे
मधुशाला तेरे नयन , देखत आये चैन । तिरछे नयनो से पिला, क्यो करती बैचेन।। खिडकी खोली आत्म की,पल मे बीती रैन। जो डूबा पाया वही , प्रेम डगर चल चैन।।
मासूम है लहजा उसका और भोली सी सूरत है नाज़ुक बदन तराशा हुआ वो बहुत खूबसूरत है रब ने बनाया है उसको कुछ इसतरह सलीक़े से कायनात बसती है उसमें खुशियों की इनायत है ख़्वाहिशों से आँख भरी है दिल मुहब्बत से भरा हर इक बात दुआ लगती है जैसे कोई इबादत है टूट गए हैं सब पैमाने अदा अंदाज़ मुख़्तलिफ़ है बेहिसाब हुस्न की मल्लिका या कोई क़यामत है बच्चों सी मुस्कान उसकी, बच्चों सी भोली बातें बच्चों सी अठखेलियाँ कुछ बच्चों सी शरारत है किससे मुहब्बत है उसको, किसके मुक़द्दर में है न मालूम दुनिया की बातें वो बस मेरी ज़रुरत है
Timi mero jindgi maa fulchau bhane, Hriday ko bagauncha bhin sajai deeula, Jeevan bhari sath dinchau bhane, Manko sundar swarh bhinn bsaai deeula..!
कच्चे मकान देखकर किसी से रिश्ता ना तोडना दोस्तो..! तजुर्बा है मेरा की मिट्टी की पकड मजबूत होती है संगमरमर पर तो हमने अक्सर पैर फिसलते हुए देखा है..!!
मेरे जीने मे में मरने में तुम्हारा नाम आयेगा मैं साँसे रोक लू फिर भी यही इल्जाम आयेगा हर एक धड़कन में जब तुम हो तो फिर आपराध क्या मेरा अगर राधा पुकारेगी तो फिर घनश्याय आएगा
मुझको मालूम है, मेरा है वो मैं उसका हूँ उसकी चाहत है कि रस्मों की ये बंदिश भी रहे मौसमों से रहें ‘विश्वास’ के ऐसे रिश्ते कुछ अदावत भी रहे थोड़ी नवाजि़श भी रहे.
इस जीवन के चौराहे पर, दो हृदय मिले भोले-भाले ! ऊँची नज़रों चुपचाप रहे, नीची नज़रों दोनों बोले !! दुनिया ने नयनों को देखा, देखा न नयन के पानी को ! दो प्राण मिले झूमे-घूमे, दुनिया की दुनिया भूल चले !!
Shafu is offline
suva is offline
MohammadSufiyan is offline
Kancha is offline
irorala is offline
Abhishek is offline
Rahul is offline
Gohil is offline
Ranjan is offline
Nirbhay is offline
Ranjay is offline
Deepak is offline
Umesh is offline
Ghufran is offline
rahmat is offline
Please Login or Sign Up to write your book.