जीने का मन नहीं करता , मैं मौत को एक बार लिखूं , मन करता है खून पिला कर कलम से अंगार लिखूँ , अपने ही खून से मैं , अपनी समस्याओं को तमाम लिखूं , अपने अल्फाजों में , दो चार शब्द हर रोज लिखू , शरीर के हर जख्म मे अपनो का व्यापार लिखू , इस जख्म भारे शरीर को , अंग का तार तार लिखू , किस्मत को हम क्यू कोशु, अपना हि मैं सार लिखू , फिर से अपनी बर्बादी के मातम को इक बार लिखूँ , बहुत परेशान हू ज़िन्दगी से मौत को अपना हार लिखू , अपने अल्फाजों से मैं , अपने दोस्तों का प्यार लिखू, इतने मुश्किल जीवन में उम्मीदों का व्यापार लिखूँ , अपनी चलती सॉसो के पीछे मॉ बाप का प्यार लिखू , हर चीख समेट शब्दों में पीड़ा को इस बार लिखूँ , बहुत परेशान हूं जिंदगी से , मौत को अपने यार लिखू, इन शब्दो के कल्प-पुष्प से अपना अंतिम हार लिखू, उठा के अपना शीश गगन से अपने ज़िन्दगी का सार लिखू , मैं भाई का छोटा भाई पन्नों में इतिहास लिखू....✍️ ~भाई का छोटा भाई
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