सफलता तो पाना हर कोई चाहता है, लेकिन गिने चुने लोग ही सफलता के शिखर पर चढ़ पाते है। ऐसा क्यों होता जब कोई व्यक्ति सफलता पाने से मात्र चंद कदमो की दुरी पर हो तो, वह एक दम से मुहं के बल नीचे आन पडता है। वो इसलिए की वह व्यक्ति अपने दिलो दिमाग पर काबु नही पा पाता, जिसने अपने दिलो दिमाग को अपने अधिन कर लिया तो सफलता आकर स्वंय ही उसके कदम चुमती है। जिसके लिए दिल ओ दिमाग को स्वंय के अधिन करने के लिए बेहद जरूरी है एकाग्रता यानि की फोकस करना।कई बार तो ऐसा होता है, जो काम करने के लिए हम सोच रहें होते है वो काम हम चाह कर भी नही कर पाते है। क्योंकि द्ढ़ निश्चय हो तो हमस ब कुछ कर सकतें हैं। यह निश्चय करलें कि चाहे कुछ भी हो ये काम हमने करना है तो करना ही है……… इसके लिए आपके पास समय, हुनर, पैशेंस व पैसा ना भी हो तो चलेगा। इसके अलावा र्धेएवान भी होना चाहिए। इसलिए सफल होने के लिए लक्ष्य को टारगेट कर उस पर ही अपना ध्यान ,फोकस, केंद्रित करें जिससे आप स्वंय ही अपना समय बदलते हुए देखेंगे।क्या मतलब है फोकस सेमान लें कि आपके लक्ष्य के लिए आपके पास कोई तरकीब या फिर बोल सकतें है आइडिया है, उसे अपनी आइफ का अहम हिस्सा बना लें। तथा उसके बारे मे सोंचे, तथा उसी कार्य को करने के लिए उसे विचार बनाएं, तथा उस काम को करने के लिए उसमे पुर्ण रूप से डुब जांए। अपना सारा ध्यान अपने टारगेट की ओर केंद्रित करें। यही एक सफल होने का मुलमंत्र है। वंही दुसरी ओर अपने सारे तरकीब, आइडिया एक किनारे कर दें, तो सही मायने मे यही होता है फोकस करना।क्या है फोकसवैसे तो फोकस शब्द को हर कोई जानता है, लेकिन सही मायने मे फोकस का मतलब तकरीबन लोगो को नही पता होता है। दरअसल फोकस का मतलब होता है अपने ध्यान को लक्ष्य की और पुर्ण रूप से केंद्रित करना। उदहारण के लिए मान लें कि आपने कैमरे तो देखा ही होगा। हजारो की भीड मे भी किसी एक की फोटो खींचे तो उसी की ही फोटो खींचेगी। क्योंकि कैमरे का फोकस सिर्फ अपने टारगेट पर ही होता है। जिसकी वजह से कैमरे का फोकस अपने लक्ष्य पर ही एकाग्र रहता है। इसका दुसरा उदहारण है, आपने लैंस, यानि की मैग्निफाई ग्लास तो देखा ही होगा…………..वह देखने मे केवल एक कांच का टूकडा होता है।लेकिन उस लैंस को धुप मे किसी कागज के उपर लगाकर रखें, तभी आप देखेंगे कुछ समय के पश्चात वह कागज जल जाता है, जिसका कारण होता है लैंस का अपने टारगेट के उपर एकाग्रता…………. जिसके कारण ही कागज जलता है। फोकस ही आपके काम को आसान बनाने मे मदद करता है। फोकस यही नही बताता की आपको क्या काम करना……….फोकस करने से आपके लक्ष्य मे आडे आने वाली बाधाओ को भी दुर करता है।कैसे है आसान फोकस करनाफोकस करना इतना आसान भी नही है, जितना की सबको लगता है। फोकस करना आसान तो नही है,लेकिन फोकस करना ना मुमकिन भी नही है। लेकिन फोकस रहने के लिए आपको अपना ध्यान लक्ष्य पर टारगेट करना होगा। उसको पाने के लिए नई नई तरकीबो पर काम करना होगा। लेकिन फोकस रहने के लिए कई चीजो को भी खोना पडता है, व कई कामो को न कहना पडता है। यदि आप कुछ पाना चाहतें हैं तो आपको पुरी तरह उस काम मे डुबना पडेगा। और तब तक उसी काम पर टारगेट करना होगा, जब तक वह टारगेट आपके करीब न हो जाए।
सफलता तो पाना हर कोई चाहता है, लेकिन गिने चुने लोग ही सफलता के शिखर पर चढ़ पाते है। ऐसा क्यों होता जब कोई व्यक्ति सफलता पाने से मात्र चंद कदमो की दुरी पर हो तो, वह एक दम से मुहं के बल नीचे आन पडता है। वो इसलिए की वह व्यक्ति अपने दिलो दिमाग पर काबु नही पा पाता, जिसने अपने दिलो दिमाग को अपने अधिन कर लिया तो सफलता आकर स्वंय ही उसके कदम चुमती है। जिसके लिए दिल ओ दिमाग को स्वंय के अधिन करने के लिए बेहद जरूरी है एकाग्रता यानि की फोकस करना।
कई बार तो ऐसा होता है, जो काम करने के लिए हम सोच रहें होते है वो काम हम चाह कर भी नही कर पाते है। क्योंकि द्ढ़ निश्चय हो तो हमस ब कुछ कर सकतें हैं। यह निश्चय करलें कि चाहे कुछ भी हो ये काम हमने करना है तो करना ही है……… इसके लिए आपके पास समय, हुनर, पैशेंस व पैसा ना भी हो तो चलेगा। इसके अलावा र्धेएवान भी होना चाहिए। इसलिए सफल होने के लिए लक्ष्य को टारगेट कर उस पर ही अपना ध्यान ,फोकस, केंद्रित करें जिससे आप स्वंय ही अपना समय बदलते हुए देखेंगे।
मान लें कि आपके लक्ष्य के लिए आपके पास कोई तरकीब या फिर बोल सकतें है आइडिया है, उसे अपनी आइफ का अहम हिस्सा बना लें। तथा उसके बारे मे सोंचे, तथा उसी कार्य को करने के लिए उसे विचार बनाएं, तथा उस काम को करने के लिए उसमे पुर्ण रूप से डुब जांए। अपना सारा ध्यान अपने टारगेट की ओर केंद्रित करें। यही एक सफल होने का मुलमंत्र है। वंही दुसरी ओर अपने सारे तरकीब, आइडिया एक किनारे कर दें, तो सही मायने मे यही होता है फोकस करना।
वैसे तो फोकस शब्द को हर कोई जानता है, लेकिन सही मायने मे फोकस का मतलब तकरीबन लोगो को नही पता होता है। दरअसल फोकस का मतलब होता है अपने ध्यान को लक्ष्य की और पुर्ण रूप से केंद्रित करना। उदहारण के लिए मान लें कि आपने कैमरे तो देखा ही होगा। हजारो की भीड मे भी किसी एक की फोटो खींचे तो उसी की ही फोटो खींचेगी। क्योंकि कैमरे का फोकस सिर्फ अपने टारगेट पर ही होता है। जिसकी वजह से कैमरे का फोकस अपने लक्ष्य पर ही एकाग्र रहता है। इसका दुसरा उदहारण है, आपने लैंस, यानि की मैग्निफाई ग्लास तो देखा ही होगा…………..वह देखने मे केवल एक कांच का टूकडा होता है।
लेकिन उस लैंस को धुप मे किसी कागज के उपर लगाकर रखें, तभी आप देखेंगे कुछ समय के पश्चात वह कागज जल जाता है, जिसका कारण होता है लैंस का अपने टारगेट के उपर एकाग्रता…………. जिसके कारण ही कागज जलता है। फोकस ही आपके काम को आसान बनाने मे मदद करता है। फोकस यही नही बताता की आपको क्या काम करना……….फोकस करने से आपके लक्ष्य मे आडे आने वाली बाधाओ को भी दुर करता है।
फोकस करना इतना आसान भी नही है, जितना की सबको लगता है। फोकस करना आसान तो नही है,लेकिन फोकस करना ना मुमकिन भी नही है। लेकिन फोकस रहने के लिए आपको अपना ध्यान लक्ष्य पर टारगेट करना होगा। उसको पाने के लिए नई नई तरकीबो पर काम करना होगा। लेकिन फोकस रहने के लिए कई चीजो को भी खोना पडता है, व कई कामो को न कहना पडता है। यदि आप कुछ पाना चाहतें हैं तो आपको पुरी तरह उस काम मे डुबना पडेगा। और तब तक उसी काम पर टारगेट करना होगा, जब तक वह टारगेट आपके करीब न हो जाए।
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