ab aap ḳhud hī batā.eñ ye zindagī kyā hai karam bhī us ne kiye haiñ magar sitam jaise
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
कहाँ मय-ख़ाने का दरवाज़ा 'ग़ालिब' और कहाँ वाइज़ पर इतना जानते हैं कल वो जाता था कि हम निकले
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे कहते हैं कि 'ग़ालिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मिरे आगे बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
Chand Utra Tha Humare Aangan Me, Yeh Sitaroon Ko Gawara Na Hua, Hum Bhi Sitaroon Se Bhala Kya Gila Kare, Jab Ye Chand Hi Kabhi Humara Na Hua.
Mohabbat Mein Najar Churake Humse, Agar Tum Yuhi Gujar Jaoge, Karke Bewafayi Tum Hum Se, Ek Din Khud Hi Bohat Tum Pachtaoge.
arun is online
gulab is online
rehan is online
Shivansh is online
Mahipal is online
Sonu is offline
Musab is offline
Laden is offline
bharat is offline
Dileep is offline
Munna is offline
Rahul is offline
geeta is offline
kamal is offline
vishav is offline
Please Login or Sign Up to write your book.