बहुत ज़्यादा होगा भी तो क्या होगा , चुप रहने दो साहब नहीं तमाशा और होगा , मैं खामोश हू तो खामोश रहने दो , अगर बोल दिया तो तमाशा और होगा , यहॉ नए खिलाड़ी आ गए हैं बहुत , मैदान वही रहने दो नहीं तमाशा और होगा , हम जैसो पर चुपचाप पानी डालते रहो , कोई तड़प के मर गया तो तमाशा और होगा , मेरी बातों पर यकीन ना करो ना ही किसी को गौर होगा , मुझे चुप रहने दो साहब बोल दिया तो तमाशा और होगा, खैर भाई का छोटा भाई के लिखने से क्या होगा , चुप ही रहने दो साहब बोल दिया तो तमाशा और होगा...✍️ खैर छोड़ो....! ~भाई का छोटा भाई
वाह रे इंसान , मुझे तो इंसान कहने में शर्म आती है , दुष्कर्म करने वाले दरिंदों की मौत क्यों नहीं हो जाती हैं , क्यों इनको दिखती नहीं मां बहन बेटियां , आखिर इनके घर कौन पकाता है रोटिया , वाह रे इंसान , मुझे तो इंसान कहने में शर्म आती है , आखिर इन निलज्जो कि शर्म कहां जाती है , इंसानियत तो रही नहीं इंसान में, इंसान ही तुले हैं दूसरे इंसान की जान में, वाह रे इंसान , मुझे तो इंसान कहने में शर्म आती है , आखिर इन बलात्कारियों को फांसी क्यों नहीं हो जाती हैं, क्यों नहीं बनाते हो नए कड़े कानून , दुष्कर्मीयों का सीधे कर दो खून, वाह रे इंसान , मुझे तो इंसान कहने में शर्म आती है , पर पता नहीं बलात्कारियों को अपनी मां बहन क्यो ध्यान नहीं आती हैं , इनको ऐसी मौत दो कि , दुष्कर्म करने की सोचने से पहले ही डर जाएं , बलात्कारी यही सोचे कि दुष्कर्म करने से अच्छा है मर जाए , वाह रे इंसान , ऐसे इंसान को लिखने में मेरी कलम शर्माई, अब इन दरिंदों को क्या लिखूं मैं भाई का छोटा भाई...✍️ ~भाई का छोटा भाई
आज मैं लिखुंगा , अपनी जिंदगी की कहानी ! कत्ल कैसे हुआ मेरा , और बर्बाद हुई रूवानी ! मैं खेलता था अल्फाजों से , किसी ने मेरे दर्द कि बना दि कहानी ! शोले जलते दिल में , और बची थी जावानी ! थोड़ा रूको साहब मैं बताऊगा , अपने उबलते रक्त की कहानी । यह बात तब की है , जब शुरू हुई थी मेरी जवानी ! मैं अकेला बहुत था जिंदगी में , और लिखना चाहता था अपनी कहानी ! जिल्लत भरी जिंदगी थी मेरी , और रुसवाई की तन्हाई ! टुकड़ों में जब बटा खुद को, सबने की सराहनी ! अल्फाज मेरे नोच खा गए गिद्ध , अब क्या बताऊ अपनी कहानी ! मजे लेते लोग सभी , हँसती भीड़ की कहानी ! पर कामयाब तभी होंगा , जब बदल लू वक्त अपना ! फिर मैं लिखुंगा , अपने बदलते वक्त की कहानी ! भाई का छोटा भाई की , दुनिया होगी दिवानी ! फिलहाल मैं शून्य हूँ.... जल्द ही लिखुंगा , अपने अनंत की कहानी ! फिलहाल मैं शून्य हूँ.... जल्द ही लिखुंगा, अपने अनंत की कहानी...✍️ ~भाई का छोटा भाई
मत भिड़ना मेरे दोस्तों से कहीं शहर में , नहीं दुनिया तुम्हारी लाश पाएगी नहर में , मैं ना रहूं तो कोई असर नहीं पड़ता , मेरे दोस्तों को कोई फरक नहीं पड़ता , सच कहूं तो आज भी मेरे दोस्त रखते हैं मुझे दिल में , तभी तो जब शहर जाता हूं तो दुश्मन छुप जाते हैं बिल में , आज भी अपना बहुत कहर हैं , भूल गए क्या तुम रीवा अपना पुराना शहर है , मत भिडना मेरे दोस्तों से वो ऐसे छोड़ते नहीं , जब तक ढंग की हड्डियां तोड़ते नहीं , कहीं हाथ कहीं पैर कहीं घुटना मोड़ देते हैं , जब दुश्मन की जान निकल जाती है तो छोड़ देते हैं , सच कह रहा हूँ मत भिडना मेरे दोस्तों से कही शहर में , नही दुनिया तुम्हारी लाश पाई नहर में , वो जिंदगी जीते है अपने रूल से , किसी बेगुनाह को नहीं मारते भूल से, वो दुश्मन से मिलते हैं अनजान से , फिर उसे मार देते हैं जान से , मत भिडना मेरे दोस्तों से कही शहर में , नही दुनिया तुम्हारी लाश पाई नहर में , मेरे दोस्तों के अंदर कोई नहीं है दया , मार मार के सब कुछ करा लेते हैं बया , एक गिड़गिड़ा कर मांगता रहा माफी की कर दो मुझे माफ, फिर भी उसे कर दिए साफ , इसीलिए बता रहा हूं कि माफी का कोई खाना नहीं , सच कहूं तो मारने के बाद डाक्टर के पास जाना नही , क्योंकि वो हड्डियों को इतना देते है मोड़ , कि डॉक्टर भी नहीं पाते उसका जोड , मैं अपने दोस्तों के बारे में जता रहा हूं , जी हां इंसानियत के नाते... मैं भाई का छोटा भाई बता रहा हूँ , कि मत भिडना मेरे दोस्तों से कही शहर में , नही दुनिया तुम्हारी लाश पाई नहर में , ....✍ ~भाई का छोटा भाई
खुश तो था मगर इस साल नही , चुप रहो अब कोई सवाल नही , तुम होते तो दुनिया जीतता मैं , तुम मेरे उरूज थे जवाल नही , खुश तो था मगर इस साल नही , गिरा हूँ मैं तो उठ भी जाऊँगा , अजनबी मुझको तू संभाल नही , तुम्हे आसांन लगता है बिखरना , मेरे जैसा तुम्हारा हाल नही , खुश तो था मगर इस साल नही , तुम्हारी खुशियां जरूरी हैं यार , मैं जख्म लेकर ही ठीक हूं , मुझे गम का कोई मलाल नही , खुश तो था मगर इस साल नही , मैं बंदा गलत हूं सोचता भी गलत हू , पर कभी खुद से करता सवाल नही, खुश तो था मगर इस साल नही , अपनों के चक्कर में अपने को ही खो दिए , जैसे कोरोना महामारी में हर कोई रो दिए, अब कैसे कहूं कि जिंदगी में बवाल नहीं , खुश तो था मगर इस साल नही , जख्म देते हो कहते हो सीते रहो , जान लेकर कहोगे कि जीते रहो , मैं भाई का छोटा भाई अपना जज्बात लिख रहा हूं , पर उस पर कोई सवाल नहीं , खुश तो था मगर इस साल नही , खैर छोड़ो....! ~भाई का छोटा भाई
छुपानी पड़ती है दिल की सच्चाई कभी कभी , बहुत बुरी लगती है ये अच्छाई कभी कभी , लोग पूछते हैं तू अपने बारे में कुछ बताता क्यों नहीं , सच सच अपनी जिंदगी को जताता क्यों नहीं , हर पल जख्म गम लिखता रहता है , तू दो पल हंस कर बिताता क्यों नहीं , सब के बारे में लिखता रहता है , तू अपने बारे में कब लिखेगा , जब दुनिया तुझे गलत समझ जाएगी , क्या तब तू सीखेगा , मैं गलत हूं कि सही मैं खुद ही खुद को परखूंगा , यह दुनिया है दोस्त भगवान को भी बुरा कहती है , अगर यह दुनिया एक दर्द सहती है , तो 1000 लफ्ज़ भगवान को गलत कहती है , खैर छोड़ो ये तो इंसान हैं , अब इंसानों में इंसानियत कहां रहती है , मुझे गलत समझने वाले समझ जाओ , तुम्हारी समझदारी ही इतनी है , मैं अपनी अच्छाई के बारे में क्या लिखूं , जितना तुम समझ गए मुझे , औकात ही तुम्हारी उतनी है, खैर छोड़ो साहब , बहुत सारी बातें बता दिया , भाई का छोटा भाई अपने बारे में जता दिया , हर वक्त लिखता था अपनी जिंदगी का गम , आज इस कविता में खुद को ही अजमा दिया....✍️
लिखता तो मैं खुद ही हूं , पर पढता कोई और है , तू तो अपना है दोस्त , मैं तुझे कब बोला कि तू गैर है , यह तू गैर गैर कहना छोड़ दे , अगर अपना नहीं समझता है , तो दोस्ती तोड़ दे , जब मुझे तू अपना समझता ही नहीं , तो फिर मुझे समझाने क्यों लगता है , मैं तुझे गैर बोलूं यह कभी हो सकता है , अब रहने दे भाई ज्यादा प्यार मत जता , तुम मुझसे गुस्सा क्यों हो सच सच यह बता , मतलब कि एक छोटी सी बात लेकर मुंह फुला लिया , छोटी सी बात के लिए भाई को भुला दिया , तू क्या कहता है, ऐसी बात के लिए दोस्ती तोड़ दूं , तू कहे तो मैं दुनिया छोड़ दू , अब ज्यादा प्यार मत जता , मैं क्या बोला जो तुझे बुरा लगा , सच सच ये बता , मैं तो किसी को कोई बात भी नहीं बताई, मैं क्या लिखूं दोस्त तेरे लिए, मैं ही पागल भाई का छोटा भाई....✍️ ~भाई का छोटा भाई
जिंदगी में गम , गम में हम , हम मे रम , रम मे नशा , और मैं नशे में हू, नशा मुझ में नशा किसी और का , नशा मुझ में नशा किसी और का , यह नशा अपना ही है ना की किसी गैर का , कोई तो अपना समझ कर प्यार से बोल लो , ए दोस्त एक दो बोतल और खोल लो, मैं ऩशे में हू , थक गया जी जी कर , अब और जीने का मन नहीं कर रहा , ले चलो यार कोई बडे मयखाने मे, आज मेरा और पीने का मन कर रहा, मैं नशे में हू , कोई भांग घोटो , कोई चिलम के लिए पत्ता लाओ , मेरे और दोस्तों को बुलाओ , मै नशे में हू, सचिन महफिल जमाओ समा में , आज मै नशे में हू , हुक्का फूक दूंगा हवा , मै नशे में हू, कोई ताश के पत्ता लाओ कोई सट्टा खेलने वालो को बुलाओ , सट्टा खेलने में शाहजहां भी होगा , चाहे सट्टा कहीं भी होगा, अगर मैं सट्टा हारा तो मयखाना छोड़ देंगे , सट्टा जीता तो ताजमहल खरीद लेंगे , मैं नशे में हू, और बता देना मोहतरमा को अपने शाहजहाँ, अब वो ताजमहल शाहजहां का कहा, मैं नशे में हू, गिनती के मैं पैक नहीं मारता, पैक मार के गिनती भूल जाता हूं , और दो घूट अंदर गई ना , तो अपने दोस्त को ही विधायक बताता हूं , मैं नशे में हू , कि सिगरेट बुझनी नहीं चाहिए , दो पैक और बना लो , सिगरेट को छोड़ो यार , हुक्का ही जला लो , खैर छोड़ो मैं नशे में हू , दारु कम पड़ गई तो मैं कैसे जी पाऊंगा , दो चार बोतल और मगालो मैं पूरी पी जाऊंगा , मै नशे में हू , नशा नशा लिखकर , भाई का छोटा भाई की कलम नशे में हो गई, मैं शराब लिखना चाहा और वो पूरा पेज खराब कर गई , मैं नशे मे हू...✍️ ~भाई का छोटा भाई
तनख्वाह कम थी , और घर की जिम्मेदारियां ज्यादा दिखी , यूं ही नौकरी नहीं छोड़ा उसमें , रिजाइन मारते वक्त , उसने अपनी एक -दो प्रॉब्लम लिखी, बोस को उसकी प्रॉब्लम नहीं दिखी , रिजाइन एक्सेप्ट कर लिया , ये भी नही पढ़ा कि उसने बात क्या लिखी, बोस को भी समझना चाहिए बंदे की बात को , ऐसे ही थोड़ी न सबके सामने बयां करेगा वो अपने जज़्बात को , यूं ही नौकरी नहीं छोड़ा उसमें , रिजाइन मारते वक्त , उसने अपनी एक -दो प्रॉब्लम लिखी, क्योकि उसको घर की जिम्मेदारी ज्यादा दिखी, राधे सर बहुत मिस करूंगा हम आपको , बॉस नहीं समझा तो क्या हुआ , मैं समझ रहा हूं आपकी जज़्बात को, ज्यादा नहीं लिख रहा हूं , यह मैसेज पहुंचाना अपने बॉस को , कुछ तो समझे बोस बंदे की बात को , मैं भाई का छोटा भाई इसीलिए मैसेज लिख रहा हूं रात को....✍️ *~भाई का छोटा भाई*
मैं ही हमेशा कहूं तुम भी कह दो कभी , हमेशा मैं ही मनाऊं तुम भी मुझे मनाओ कभी , रिश्तों मैं नोक झोंक चलती रहती है तुम यू न छोड़ कर जाओ कभी , जो कभी गलत करू तो तुम भी समझाओ कभी , हमेशा मैं ही निभाऊ तुम भी रिश्ता निभाओ कभी , हमेशा तो मैं ही लिखता रहता हूं पढ़कर तो सुनाओ तुम कभी , झूठ ही सही , पर प्यार जताओ तो कभी , मुझे भी अच्छा लगता है तारीफ सुनना मेरी तारीफ में कुछ बताओ कभी , बेशक मैं बुरा हूं पर रिश्ता अच्छे से निभाता हूं यही तो बताओ कभी , क्या जरूरत है झूठी अफवाह फैलाने की दुनिया को सच सच बताओ कभी , मैं लिखने को तो पूरा जहां लिख दूं पर यह दुनिया मेेरा लिखा पढ़े कभी , सब मुझे अच्छा बोले मैं इतना भी तो नहीं हूं सही , मोहब्बत मे नहीं टूटा हूं मैं जो आप लोग तारीफ ना करो मेरी कभी , मैं भाई का छोटा भाई कविता लिखता हूं कभी-कभी...✍️ ~भाई का छोटा भाई
#WorldPoetryDay मुझे कवि मारते रहे बार-बार , मुझे कविताओं ने बचाया हर बार...✍️ ~भाई का छोटा भाई
जीने का मन नहीं करता , मैं मौत को एक बार लिखूं , मन करता है खून पिला कर कलम से अंगार लिखूँ , अपने ही खून से मैं , अपनी समस्याओं को तमाम लिखूं , अपने अल्फाजों में , दो चार शब्द हर रोज लिखू , शरीर के हर जख्म मे अपनो का व्यापार लिखू , इस जख्म भारे शरीर को , अंग का तार तार लिखू , किस्मत को हम क्यू कोशु, अपना हि मैं सार लिखू , फिर से अपनी बर्बादी के मातम को इक बार लिखूँ , बहुत परेशान हू ज़िन्दगी से मौत को अपना हार लिखू , अपने अल्फाजों से मैं , अपने दोस्तों का प्यार लिखू, इतने मुश्किल जीवन में उम्मीदों का व्यापार लिखूँ , अपनी चलती सॉसो के पीछे मॉ बाप का प्यार लिखू , हर चीख समेट शब्दों में पीड़ा को इस बार लिखूँ , बहुत परेशान हूं जिंदगी से , मौत को अपने यार लिखू, इन शब्दो के कल्प-पुष्प से अपना अंतिम हार लिखू, उठा के अपना शीश गगन से अपने ज़िन्दगी का सार लिखू , मैं भाई का छोटा भाई पन्नों में इतिहास लिखू....✍️ ~भाई का छोटा भाई
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