किसी के लिए अच्छा तो किसी के लिए बुरे बन गए, जिनको मैं अपना समझता था उनके ही नजरों में गिर गए..... ✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
दोस्ती मैंने कुछ इस कदर निभाई , कि अपनों के ही नजरों में गिर😭गया भाई....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
बुलाता हूँ, मगर आती नही है...📝 ~~भाई का छोटा भाई
आप अपना दुःख दिखाने लग गए , हम बेबस होके ठिकाने लग गए...✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
रजाई एक नशा है , और मैं इस वक्त नशे में हूं....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
आस्मां अपना है यारों ये ज़मीं है मेरी , किस्मत में बस यही छोटी सी कमी है मेरी , लोग खिलाफ़ है मेरे तो खिलाफ़ रहने दो , ज़िंदा हूँ तो मुखालफ़त भी लाज़मी है मेरी , कोई आकर दिलासा देदे मुझे कि आज , दिल उदास है और आंखों में नमी है मेरी , जिम्मेदारियों के कारण आज घर से दूर हूं , तो भाई फ़ोन करता है कि कमी है मेरी , परिवार व मां बाप की याद आती है , तो आंखें नम हो जाती है मेरी , क्या करूं रखवाला हूं सरहद का मै, इसीलिए तो मां के पास कमी है मेरी , मेरी जन्म देने वाली मां को मेरे भाई संभाल लेगे, पर जब से सरहद पर आया हूं तो पहले धरती मां है मेरी , क्या करूं मुझे भी अपनी जननी मां की याद आती है , रो देती होगी मेरी मां जब उसको महसूस होती होगी कमी मेरी , कैसे कहूं मां की सबसे पहले है , यह भारत की जमी मेरी, पापा का फोन आया बोले वहां बहुत सर्दी होगी क्योंकि वहां है तू रेत में , मैंने कहा पापा इतनी सर्दी नहीं जितनी वहा पानी लगाते समय रहती है खेत में, इस कविता में मैंने अपनी और परिवार वालों ने मेरी कमी बताई , यह कविता लिखने वाला मै भाई का छोटा भाई....✍️
मत मारो मुझे लट्ठ मै पहले से एक दुखी इंसान हूं , मेरी लट्ठ खाने कि वजह यही हैं कि मैं एक किसान हूं....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
क्यों कर रहे हो किसानों पर अत्याचार , मत करो इन पर लट्ठों से प्रहार , यही तो है अपने देश की आन बान शान है , तभी तो लोग कहते हैं अपना हिंदुस्तान....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
कोई और तरीका हो तो बताओ जीने का , थक गया हूँ मैं साँस ले ले कर....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
क्या लिखूं मैं अपने अल्फाज में , जब इंसानियत ही नहीं रही इंसान मे, क्या इनको नहीं दिखती गांव घर की मां बहन बेटियां , तो आखिर इनके घर कौन बनाता है रोटिया , क्या लिखूं मैं इंसानों के बारे में , मेरी कलम शर्म से डर गई, जैसे मैं इंसान लिखा तो खुद म खुद , मेरी कलम लिखदी की इंसानियत तो मर गई, क्या लिखूं मैं अपने अल्फाज में , जब इंसानियत ही नहीं रही इंसान मे, परिया निकली नहीं घर से कि बाज पैर मारने लगते है , ये जल्लाद मां बहन बेटियों को ताडने लगते हैं, मै भगवान से रोज यही प्रार्थना करता हूं , कि किसी मॉ बहन बेटियों की इज्जत पर आंच ना आए , बेशक दो चार जल्लाद बेमौत मर जाए , क्या लिखूं मैं अपने अल्फाज में , जब इंसानियत ही नहीं रही इंसान मे, मै भाई का छोटा भाई लिख तो रहा हूं पर शायर नहीं हू , और किसी मां बहन बेटियो के ईज्जत पर , कोई किचड़ उछाले और मैं चुप खड़ा रहूं इतना बड़ा कायर तो नहीं हू , क्या लिखूं मैं अपने अल्फाज में , जब इंसानियत ही नहीं रही इंसान मे, आप सब से हाथ जोड़कर विनती है, कि संभाल कर रखना अपनी फूल जैसे औलाद को, ये जल्लाद बेऔलाद बैठे हैं ,इनको क्या कहूं जिनको शर्म ही नहीं, ये शर्म को घोल कर पी बैठे हैं , मैं ये इसलिए नहीं लिख रहा हूं कि आज है 24 जनवरी , बल्कि इसलिए लिख रहा हूं की हर रोज दम तोड रही अपनी एक परी, क्या लिखूं मैं अपने अल्फाज में , जब इंसानियत ही नहीं रही इंसान मे, क्यू कर रहे हो जल्लादों हम सब को बिबस , आंसू आ गए कैसे बताऊं कि आज है बालिका दिवस, क्या लिखूं मैं अपने अल्फाज में , जब इंसानियत ही नहीं रही इंसान मे.....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
मेरी कितनी अजीब कहानी है, ये जिंदिगी दर्द की दीवानी है....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
हम लिखते लिखते बेकार हो गए, लोग पढ़ते पढ़ते समझदार हो गए...✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
खुद कमाने लगे तो शौक खुद ही कम हो गए , पापा कमाते थे तो जहाज़ भी लेने का मन करता था....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
मातृभाषा है अपनी हिन्दी, हिंदी को अपने व्यवहार में लाएं , विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
सुबह होती है भाभी लेकिन नहीं होती शाम है, आपको क्या लगता है मोबाइल चलाने के आलावा मेरे पास और कोई नहीं काम है....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
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