ज़िद्दी हूं आखिर थक कर गिर ही जाऊंगा , दुख सहते सहते किसी दिन मर ही जाऊंगी....✍️ ~भाई का छोटा भाई
जिद जुनून और जज्बातों से भरा हूं , साहब मैं बहुत अच्छा और अच्छा खासा बुरा हूं....✍️ ~भाई का छोटा भाई
झूठ होता ये काश , कि मैं पूरा दिन रहता हूं उदास....✍️ ~भाई का छोटा भाई
मै अपने भाइयों के बारे में कुछ लिख सकूँ.. अभी इतनी पढ़ाई कहॉ की मैंने....✍️ ~भाई का छोटा भाई
मरते मरते फिर से जीने लग जाऊँ क्या , सोच रहा हूँ सिगरेट पीने लग जाऊँ क्या....✍️ ~भाई का छोटा भाई
जो मुस्कुरा रहा है उसे दर्द ने पाला होगा , जो चल रहा है उसके पाँव में छाला होगा , बिना संघर्ष के इन्सान चमक नहीं सकता यारों , जो जलेगा उसी दिये में तो उजाला होगा…✍️ ~भाई का छोटा भाई
बनाकर दिये मिट्टी के जरा सी आस पाली है , इनकी मेहनत भी ख़रीदो लोगों इनके घर भी दिवाली है.....✍️ ~भाई का छोटा भाई
आज परेशान हूं कल सुकून चैन भी आएगा , ख़ुदा तो मेरा भी हैं कब तक रूलाएगा....✍️ ~भाई का छोटा भाई
चुप रहें आह भरे चीख़ उठें या मर जायें , क्या करें हम कि साहब को मेरी ज़िन्दगी के गम की ख़बर हो जाए...✍️ ~भाई का छोटा भाई
ज़िंदगी से लड़ रहे हैं जीने की जंग है , अपना क्या बात है हम तो मस्त मलंग हैं...✍️ ~भाई का छोटा भाई
बनने आये थे मेरा मरहम , जख़्म देखा तो लौट गए...✍️ *@छुट्टी* ~भाई का छोटा भाई
जिंदगी के सारे दर्द मुझमे है भरे , बहुत परेशान हू मै कृपया तंग न करे...✍️ ~भाई का छोटा भाई
छुट्टी भेज दो यार , अपना भी है एक छोटा सा परिवार , क्या मुझे अच्छा नहीं लगता गांव घर, या मैं ऐसे ही घूमता रहूं दर बदर , कभी इधर कभी उधर कभी वहां जाना है , घर वाले पूछ रहे हैं छुट्टी कब आना है , क्या बोलूं घर वालों को कि नहीं मिल रहा है अवकाश , जब आऊंगा छुट्टी तो समय हो जाएगा पास , ये रख लो अपना तामझाम मुझे घर की याद आ रही है , साहब मुझे छुट्टी भेज दो अब मेरे इधर ट्रेन जा रही हैं , पहले तो बोले थे हो जाने दो ADM , बंदो को छुट्टी भेज दूंगा कम से कम , साहब जो बोले थे वो बात अब कहां रही , साहब मुझे छुट्टी भेज दो मां की याद आ रही , मां चिंतित है गांव में कि तू इधर उधर कहां जाता है , अब तो तुझे भी चार-पांच महीने हो गए छुट्टी क्यों नहीं आ जाता है , अब मां को कैसे समझाऊं कि यहां छुट्टी मिलना इतना आसान नहीं , मैं अकेला बंदा यहॉ छुट्टी से परेशान नही , सबकी मॉए हैं सबको घर की याद आती है , मैं तो झूठ बोलकर भी आ जाऊं मॉ छुट्टी पर यहाँ फर्ज निभाने वाली बात आ जाती हैं , मां मेरी जिंदगी का यही सार है , साहब मुझे छुट्टी भेज दो मेरा भी एक छोटा सा परिवार है , अब और क्या बताऊं साहब भाई का छोटा भाई का कलम छुट्टी लिख लिख कर रह गया , जब शाम हुई तो फिर से ड्यूटी (कर्तव्य) पर चढ़ गया , फिर मॉ फोन करती रही पूरी रात और मैं फोन उठाने से रह गया , अब मां को कैसे बताऊं कि मैं ड्यूटी (कर्तव्य) पर चढ़ गया , ड्यूटी ( कर्तव्य ) से उतर का मां का इतना फोन देखा तो मुझे ऐसा लगा कि मेरी जिंदगी ऐसे ही जा रही है साहब मुझे छुट्टी भेज दो मां की याद आ रही है , साहब मुझे छुट्टी भेज दो मां की याद आ रही है...✍
वाह क्या वक्त चल रहा जो हम खड़े रहते हैं सारी सारी राते , दिन में सोना मुश्किल है और रातो मे हम सो नहीं पाते... ✍️ ~भाई का छोटा भाई
वक़्त की लहरे है जिंदगी का ज़हाज़ हैं जो आज कल था वो कल आज है....✍️ ~भाई का छोटा भाई
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