लगती थी तुम उन्नीस चाहा बीस कि तरह। आज भी कलेजे में हो KISS कि तरह। वादा था दो बच्चे और सात फेरों का, मंडप में तुम पलट गई नीतीश कि तरह।
जुल्फ घाटा बन के लहराए आंख कमल हो जाए । शायर तुम्हे पलफर देखे और गजल हो जाए। जिस कुटिया में तुम रात बिता दो ताजमहल हो जाए।
अपने हिस्से की जिंदगी तो हम जी चुके, अब तो बस धरकनो का लिहाज करते हैं। क्या कहे ये दुनिया वालो को, जो आखरी सांस पर भी एतराज करते हैं।।
आंखों में आ जाते है आसू , फिर भी लबों पे हसी रखनी पड़ती हैं । ये मोहब्बत भी क्या चीज है यारो, जिस से करते है उसीसे छुपानी पड़ती हैं ।।
तन्हाई में भी वक्त बर्बाद किया करते है । हर दिन हर वक्त आपको याद किया करते है । ये हम नहीं घरवाले कहते है कि निंद में भी तुम्हारा नाम लिया करते है ।
चिंता नाही किजिए जब कोई अनहोनी होय, दो दिल जब प्यार करे तो रोक सके ना कोय ।
हर यार ,यार नही होता । और हर यार वफादार नही होता । ये तो दिल आने की बात है, वरना यहां तो सात फेरों के बाद भी प्यार नही होता।
बस रहने दे ऐ दिल कोई ख्वाइस ना किया कर ,में थक गया हूं मेरे सब्र की आजमाइश ना किया कर, बता कोन है दुनिया में जिसे कभी दर्द ना मिला हो,तू यू सरेआम महफिल में मेरे जख्मों की नुमाइश ना किया कर...।।
जो दूर हो कर भी पास होने का एहसास दिलाता हैं,जो अपना ना हो कर भी अपनापन दिलाता है,जो हमारे दिल मे रहते है उनसे दूर नहीं रहा जाता है, सही मायनों में इश्क वही कहलाता है।
❤️ पतिया ना हिले डालि या ना हिले कुछ ऎसी हवाएं होती है । और नज़रों से भी पिलाई जाती है कुछ ऎसि भी दवाएं होती हैं।❤️
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