लड़ें वो बीर जवानों की तरह, ठंडा खून फ़ौलाद हुआ, मरते-मरते भी की मार गिराए, तभी तो देश आज़ाद हुआ.
जो अब तक ना खौला वो खून नही पानी हैं, जो देश के काम ना आये वो बेकार जवानी हैं.
इश्क तो करता है हर कोई, महबूब पे मरता है तो हर कोई, कभी वतन को महबूब बना कर देखो तुझ पे मरेगा हर कोई ..........!!!
कुछ नशा तिरंगे की आन का है, कुछ नशा मातृभूमि की शान का है, हम लहरायेंगे हर जगह ये तिरंगा, नशा ये हिंदुस्तान की शान का है.
न मरो सनम बेवफा के लिए, दो गज जमीन नहीं मिलेगी दफ़न होने के लिए, मरना है तो मरो वतन के लिए, हसीना भी दुपट्टा उतार देगी तेरे कफ़न के लिए.
मुझे ना तन चाहिए, ना धन चाहिए बस अमन से भरा यह वतन चाहिए जब तक जिन्दा रहूं, इस मातृ-भूमि के लिए और जब मरुँ तो तिरंगा कफ़न चाहिये
ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाए कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये….
Kuchh nasha Tirange ki aaan ka hain, Kuch nasha Matrbhumi ki shaan ka hai Hum lahrayenge har jagah ye Tiranga Nasha ye Hindustan ki shaan ka hain..!!
Mera “Hindustan” mahan tha, Mahan hai aur mahan rahega, Hoga hausla sab k dilo me buland To Ek din Pak b Jai Hind kahega.
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