✍️....मेरे अल्फ़ाज़💕 धूप में तपता कभी न थकता ठंड में ठिठुरता कभी न गिरता, बारिश में भीगता कभी न हारता, वो एक इंसान हूँ मै... हर भावनाओं को मार के मन मैं, निरंतर खड़ा रहा रहता हूं मैं, अपनी खुशियों के पलों को , सीने में दफ्न कर डिगा हूं ।मैं वो एक इंसान हूँ मै... काम आ गया तो अच्छा हूँ मैं काम न आया तो बुरा हूं मैं, नज़रो में चढ़ा तो कभी उतरा हूँ मै, वो एक इंसान हूँ मैं... कोई घर की भड़ास निकाले, कोई मन की भड़ास निकाले, फिर अपने जगह पर खड़ा हूँ मै.. वो एक इंसान हूँ मै... क्या दिन और क्या पहर हर हालात से लड़ता हूँ मै.. कभी खुशी तो कभी तपन हर पहलुओं से गुज़रा हूँ मैं... वो एक इंसान हूँ मै... दफन कर ख्वाहिशो को सीने में नित्य दिन फ़र्ज़ निभाता हूँ मैं बिना गलती के कर्ज चुकाता हूँ मै वो एक इंसान हूँ मैं... कर हौसलो को बुलंद मन मै एक उम्मीद लगाए बैठा हूँ मै आएगा एक दिन नया सवेरा ये आस लगाए खड़ा हूँ मैं.... वो एक इंसान हूँ मैं....
ख़ामोश फ़िजा थी कोई साया न था, इस शहर में मुझसा कोई आया न था, किसी ने छीन ली हम से वो खुशी.. हमने तो किसी का दिल दुखाया न था.
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