खामोशियों से मिल रहे, खामोशियों के जवाब, अब कैसे कहूँ कि उनसे मेरी बात नहीं होती।
अच्छा सुनो ना... जरुरी नहीं हर बार शब्द ही हों... कभी ऐसा भी हो कि मैं सोचूं... और तुम समझ लो!
ना जाने इतनी मोहब्बत कहाँ से आई है उसके लिये, कि मेरा दिल भी उसकी खातिर मुझसे रूठ जाता है।
दिन रात हम वो हर काम लिख लेते हैं, तेरी याद में गुजरी हर शाम लिख लेते हैं, तुझे देखे बिना इक पल भी कटता नहीं, अकेले में हथेली पे तेरा नाम लिख लेते हैं।
खुशियों की दामन में आँसू गिराकर तो देखिये, ये रिश्ता कितना सच्चा है आजमा कर तो देखिये, आपके रूठने से क्या होगी मेरे दिल की हालत, किसी आइने पर पत्थर गिराकर तो देखिये।
उदास आपको देखने से पहले ये आँखे न रहें, खफा हो आप हमसे तो ये हमारी साँसें न रहें, अगर भूले से भी ग़म दिए हमने आपको, आपकी जिंदगी में हम क्या हमारी यादें भी न रहें।
गुलाब के फूल को हम कमल बना देते, आपकी एक अदा पर कई गजल बना देते, आप ही हम पर मरती नहीं... वरना आपके घर के सामने ताजमहल बना देते।
मुझे इश्तिहार सी लगती हैं, ये मोहब्बतों की कहानियाँ जो कहा नहीं, वो सुना करो, जो सुना नहीं, वो कहा करो।
रग-रग में इस तरह से समा कर चले गये, जैसे मुझ ही को मुझसे चुराकर चले गये, आये थे मेरे दिल की प्यास बुझाने के वास्ते, इक आग सी वो और लगा कर चले गये।
माना कि तुम जीते हो ज़माने के लिये, एक बार जी के तो देखो हमारे लिये, दिल की क्या औकात आपके सामने, हम तो जान भी दे देंगे आपको पाने के लिये!
आसमान पे चाँद जल रहा होगा, किसी का दिल मचल रहा होगा, उफ़ ये मेरे पैरों में चुभन कैसी है, जरूर वो काँटों पर चल रहा होगा।
नजरों को तेरे प्यार से इंकार नहीं है, अब मुझे किसी और का इंतज़ार नहीं है, खामोश अगर हूँ मैं तो ये वजूद है मेरा तुम ये न समझना कि तुमसे प्यार नहीं है।
तपती दोपहरी, गरम रेत पर... ठंडे पानी की बूँदों जैसा काम कर गई... तेरी आवाज़ जो कल सुनी मैंने...।
अगर आप अजनबी थे तो लगे क्यों नहीं, और अगर मेरे थे तो मुझे मिले क्यों नहीं।
तेरे रंग में ऐसे रंगीन हो गए हैं हम, कि तेरे बिना जिंदगी के रंग फीके लगेंगे।
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