तुम्हीं पे मरता है ये दिल, अदावत क्यों नहीं करता कई जन्मों से बंदी है, बग़ावत क्यों नहीं करता कभी तुम से थी जो वो ही शिक़ायत है जमाने से मेरी तारीफ़ करता है मुहब्बत क्यों नहीं करता...
आंधियों को जिद है जहां बिजलियां गिराने की, मुझे भी जिद है, वही आशियां बसाने की !! तुम सपने देखते हो सपनों को हकीकत बताने की मुझे आदत है सपनो को हकीकत बनाने की !!
चमक रहा हूँ जो सूरज की तरह तो सब हैरान हैं क्यों? मेरी सफलता से सब इतना परेशान हैं क्यों? हर रात टकराया हूँ मैं इक नई मुसीबत से नई सुबह के लिए सबको दिखा हुनर मेरा लेकिन किसी ने न पूछा की ये जख्मों के निशान हैं क्यों?
👦 👩👦 👩👦 👩👦 👩👦 👩👦 👩 लड़ना झगड़ना हैं इस रिश्ते की शान रूठ कर मनवाना ही तो हैं इस रिश्ते का मान भाई बहनों में बसती हैं एक दूजे की जान करता हैं भाई पुरे बहन के अरमान 😉 😊😏 😣😏 😣👌👌👌👌👌👌
This country will remain the home of the liberated only, as long as we make it the land of the brave. Happy Independence Day.
कच्चे धागों से बनी पक्की डोर हैं राखी, प्यार और मीठी शरारतों की होड़ हैं राखी, भाई की लम्बी उम्र की दुआ हैं राखी, बहन के प्यार का पवित्र धुआं हैं राखी. हैप्पी रक्षाबंधन...
हर इलजाम का मुजरिम वो हमें बना जाती हैं, हर खता की सजा बड़े प्यार से हमे बता जाती हैं, और कमबख्त हम हर बार चुप रह जाते हैं, क्योकि वो हर बार “रक्षा बंधन” का डर दिखा जाती हैं. शुभ रक्षा बंधन…
बहनों को भाइयों का साथ मुबारक हो, भाइयों की कलाइयों को बहनों का प्यार मुबारक हो, रहे ये सुख हमेशा आपकी जिन्दगीं में, आप सबको राखी का पावन त्यौहार मुबारक हो. रक्षा बंधन मुबारक हो
लड़ना, झगड़ना और मना लेना यही है भाई-बहन का प्यार, इसी प्यार को बढ़ाने आ गया हैं रक्षा बंधन का त्यौहार.
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती... हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती... नन्ही चींटीं जब दाना लेकर चढ़ती है... चढ़ती दीवारों पर सौ बार फ़िसलती है... मन का विश्वास रगों में साहस भरता है... चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना, ना अखरता है... मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती... हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती...
*"कद्र"* करनी है तो *"जीते जी"* करें *"मरने"* के बाद तो *"पराए"* भी रो देते हैं आज *"जिस्म"* मे *"जान"* है तो देखते नही हैं *"लोग"* जब *"रूह"* निकल जाएगी तो *"कफन"* हटा हटा कर देखेंगे *किसी ने क्या खूब लिखा है* *"वक़्त"* निकालकर *"बाते"* कर लिया करो *"अपनों से"* अगर *"अपने ही"* न रहेंगे तो *"वक़्त"* का क्या करोगे *"गुरुर"* किस बात का... *"साहब"* आज *"मिट्टी"* के ऊपर तो कल "मीट्टीकै नीचे.
*जिसने दी है जिंदगी उसका* *साया भी नज़र नहीं आता* *यूँ तो भर जाती है झोलियाँ* *मगर देने वाला नज़र नही आता..* *उनकी ‘परवाह’ मत करो,* *जिनका ‘विश्वास’ “वक्त” के साथ बदल जाये..* *‘परवाह’ सदा ‘उनकी’ करो;* *जिनका ‘विश्वास’ आप पर “तब भी” रहे’* *जब आप का “वक्त बदल” जाये..
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