राखी का त्यौहार है राखी बंधवाने को भाई तैयार है, भाई बोला बहना मेरी अब तो राखी बांध दो, बहना बोली “कलाई पीछे करो,पहले उपहार दो”
बिन राखी के हर भाई का सारा गौरव झूठा है, बहन की मन्नत से, हर दुश्मन का सर टूटा है, बिना दुआ के बहना की, भाग्य भाई का रूठा है, रक्षाबंधन भाई बहन के रिश्ते का मान अनूठा है!!
जब भी मुसीबत पड़ेगी हम पर हमारे हक़ में दुवायें कौन मांगेगा, जब बहनें ही न रहेंगी इस दुनिया में तो राखी कौन बांधेगा?
जितना मुझसे लड़ती है उतना ही प्यार जताती है रूठ जाऊं मैं जो कभी मुझको वो मनाती है, घर को सुंदर बनाती वो परिवार का गहना है मेरी कलाई पर बांधे राखी वो मेरी प्यारी बहना है।
नींद अपनी भुलाकर सुलाये हमको, आँसू अपने गिराकर हँसाये सबको, दर्द कभी न देना उस देवी के अवतार को, ज़माना कहता है बहन जिसको.
रंग बिरंगी मौसम मे सावन की घटा छायी खुशियों की सौगात लेकर बहना राखी बांधने आयी बहन के हाथों से सजे भाई की कलाई सदा खुश रहे बहन और भाई. रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें
याद आता है अक्सर वो गुजरा हुआ जमाना, तेरी मीठी आवाज में भाई कहकर बुलाना, वो सुबह स्कूल के लिए तेरा मुझको जगाना, अब क्या करे बहना यही जिंदगी का तराना।
जब जब रक्षा बंधन आता है उस माँ का दिल भर आता है राखी ने उसके बेटे की भी कलाई सजाई होती है काश उसने कोख में ही बेटी ना मारबाई होती।
ना मरो सनम बेवफा के लिए, दो गज़ जमीन नहीं मिलेगी दफ़न होने के लिए! मरना हैं तो मरो वतन के लिए, हसीना भी दुप्पट्टा उतार देगी तेरे कफ़न के लिए!!
ये बात हवाओ को बताये रखना रोशनी होगी चिरागों को जलाये रखना लहू देकर जिसकी हिफाजत हमने की ऐसे तिरंगे को सदा दिल में बसाये रखना
गुलाब लाये है तेरे दीदार के लिए, पर वो भी मुरझा गया तेरे नूर के आगे, तू ऐसा खूबसूरत हिरा है, की कोहिनूर भी सोचे तुझे पाने के लिए।
तुम हसीन हो, गुलाब जैसी हो, बहुत नाजुक हो ख्वाब जैसी हो, होंठों से लगाकर पी जाऊं तुम्हे, सर से पाँव तक शराब जैसी हो।
गुलाब की खूबसूरती भी फिकी सी लगती है, जब तेरे चेहरे पर मुस्कान खिल उठती है, यूँही मुस्कुराते रहना मेरे प्यारे दोस्तों, तेरी खुशियों से मेरी साँसे जी उठती है।
टूटा हुआ फू कोई ज़िन्दगी में प्यार तोह.. कोई प्यार में ज़िदंगी दे जाता हैं
उदासियों की वजह तो पर बेवजह खुश रहने का मजा ही कुछ और है… बहुत है जिंदगी में,
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