*बिखरा हुआ समाज* और *बिखरा हुआ परिवार* कभी *बादशाह* नहीं बन सकता, लेकिन वह *आपस मे लड़ कर* दूसरों को *बादशाह* जरूर बना देता है...!
मौन है स्त्री नि.शब्द नहीं, आवाज़ है पर बोलती नहीं जज़्बात है मुंह खोलती नहीं, चाहत है पर किसी से उम्मीद नहीं पहल ना करती पर किसी से डरती नहीं, जीत की चाह नहीं हार मानती नहीं आईना है पर बिखरती नहीं, दर्द से भरी है जीना छोड़ती नहीं.....
सपना है आंखों में मगर नींद कहीं और है, दिल तो है जिस्म में मगर धड़कन कहीं और है कैसे बयां करें अपना हाले दिल, जी तो रहे हैं मगर जिंदगी कहीं और है!
मोहब्बत रंग दे जाती है जब दिल से दिल मिलता है' लेकिन मुश्किल ये है, दिल बड़ी मुश्किल से मिलता है !!
नहीं_है_हम_इतने_खूबसूरत की_हर_किसी_के_ दिल_में_बस_जाए.. पर_जिसके_साथ_चल_पड़े_ जिन्दगी उसी के नाम_कर देते है...
बेवजह हम वजह ढूंढ़ते हैं तेरे पास आने को, ये दिल बेकरार है तुझे धड़कन में बसाने को, बुझती नहीं है प्यास मेरे इस प्यासे दिल की, न जाने कब मिलेगा सुकून तेरे इस दीवाने को।
तेरा ज़िक्र तेरी फ़िक्र तेरा एहसास तेरा ख्याल, तू खुदा तो नहीं फिर हर जगह क्यों है।
तुमको दे दी है इशारों में इजाज़त मैंने, माँगने से न मिलसकूं तो चुरा लो मुझको।
तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे मगर, हमारी बेचैनियों की वजह बस तुम हो।
नजर से नजर को मिलाओ नजर का ऐतबार करो, हम तुम से सनम और तुम हम से प्यार करो, तुम जो रूठो तो कुछ भी करके मनाएं तुमको, हम जो पल भर को जायें तो तुम इंतज़ार करो।
मेरे हाथों की लकीरों में समाने वाले, कैसे छीनेंगे तुझे मुझसे ज़माने वाले।
सामने बैठे रहो दिल को करार आएगा, जितना देखेंगे तुम्हें उतना ही प्यार आएगा।
मेरे वजूद में काश तू उतर जाए, मैं देखूं आइना और तू नजर आये, तू हो सामने और वक्त ठहर जाए, और तुझे देखते हुए जिंदगी गुज़र जाए
कभी लफ्ज़ भूल जाऊं कभी बात भूल जाऊं, तूझे इस कदर चाहूँ कि अपनी जात भूल जाऊं, कभी उठ के तेरे पास से जो मैं चल दूँ, जाते हुए खुद को तेरे पास भूल जाऊं।
इससे ज़्यादा तुझे और कितना करीब लाऊँ मैं, कि तुझे दिल में रख कर भी मेरा दिल नहीं भरता
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