जिंदगी जैसे जलानी थी वैसे जला दी हमने, अब धुएं पर बहस कैसी और राख पर ऎतराज कैसा ।
याद आएगी तेरी हर रोज मगर तुझे आवाज न दूंगा , लिखूंगा तेरे लिए ही हर लफ्ज़ मगर तेरा नाम न लूंगा।
फिर किसी मोड़ पर मिल जाऊं तो मुंह फेर लेना तुम , पुराना इश्क़ हूं फिर उभरा तो कयामत होगी ।
किसी के हाथ का कंगन खनक ना भूल बैठा है कोई सिंगार करके भी महकना ना भूल बैठा है चले आए हो जब से छोड़ कर तन्हा किसी को तुम अब उसके सर के आंचल भी सरकाना ना भूल बैठा है।।
चले आओ किसी की जुल्फ का बादल बुलाता है तुम्हारी याद में हो कर कोई पागल बुलाता है, बुलाती है किसी की संतली बाहों की बेचैनियां किसी की आंख का भीगा हुआ काजल बुलाता है।।
ना हंसो दिल मेरा चाक हो जाएगा हर इरादा खतरनाक हो जाएगा, मुस्कुराने की बमबारी अगर इसी तरह जारी रही तो दिल मेरा जल कर राख हो जाएगा।।
कसम कैसी भी हो सब तोड़ कर आता रहूंगा मैं चाहतों की दुनिया छोड़ कर आता रहूंगा मैं, भले ही कैद कर ले दुनिया की सारी नफरतें मुझे बुला कर देख लेना दौर कर आता रहूंगा मै।
कि तेरा चेहरा लगे अप्सरा की तरह मैं गगन की तरह तू धरा की तरह, अदाओं का पेट्रोल छिलकों नहीं वरना जल जाऊंगा मैं बोधरा की तरह।।
सामने देख कर मुंह ना मोड़ा करो दिल ये नाजुक है उसको ना तोड़ा करो, रेशमी डोरिया कैद कर लेती हैं अपनी जुल्फें खुली यू ना छोड़ा करो।
किसी के हाथ का कंगन खनक ना भूल बैठा है कोई सिंगार करके भी महकना भूल बैठा है चले आए हो जब से छोड़कर तन्हा किसी को तुम अब उसके सर के आंचल भी सरकना ना भूल बैठा है
शायरी नहीं आती मुझे बस हाले दिल सुना रहा हूं , बेवफाई का इल्जाम है मुझ पर फिर भी गुनगुना रहा हूं, कत्ल करने वाले ने कातिल हमें ही बना दिया , खफा नहीं मैं उससे बस उसका दामन बचा रहा हूं//
सिलसिला यूं ही चलने देंगे शायरी का, हम भी तो देखें....... कब तक मेरे अल्फाज तेरे दिल तक नहीं पहुंचते।।
जख्म कहां कहां से मिले छोड़ इन बातों को , जिंदगी तू ये तो बता सफर कितना बाकी है।।
दिल कहता है कि लिख दूं , एक नजम तेरे नाम की, तुझे खुश ना कर पाऊं तो ये जिंदगी किस काम की।।
कीमत क्या लगाओगे आप मेरे प्यार की आपकी मुस्कान में छुपी है बर्बादी आपकी जान की।।
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